Hindi, asked by GayatriRajurkar, 1 year ago

भारत और भारतीय संस्कृती

Answers

Answered by shamimkagxi
3
भारत पर विदेशियो ने अनेक बार आक्रमण किया और हिन्दु संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की,लेकिन वो संस्कृति ही क्या जो मिट जाये, भारत आये अनेक आक्रमणकारियो ने भी माना कि इस देश की संस्कृति को नष्ट करना नामुमकिन है, बल्कि उनमे से कई लोग अपने साथ विभिन्न प्रकार के धर्म और सम्प्रदाय ले आये, और कई यहीं पर बस गये, जिससे गंगा जमुनी संस्कृति का जन्म हुआ,जिसे भारतीय संस्कृति ने बड़ी ही सहनशीलता के साथ स्वीकारा और गले लगाया. विभिन्न वेद शास्त्र हमारी संस्कृति का हिस्सा है, इसके अतिरिक्त भारत की अन्य परम्परायें जैसे अतिथि देवो भवः, सामाजिक आचार व्यवहार,शरणागत रक्षा,सर्वधर्म समभाव,वसुधैव कुटुम्बकम,अनेकता मे एकता जैसी प्रमुख है.

पुराने जमाने से ही हमे समझाया गया है कि घर आया अतिथि भगवान के समान है, हम खुद भले ही भूखे रह जाये,लेकिन अतिथि का पेट भरना जरूरी है.इसी तरह से हमे समाज मे कैसा व्यवहार एवं आचरण करना चाहिये,इसकी शिक्षा हमारी संस्कृति हमे देती है, विभिन्न कहानियो एव लोकोत्तियो के द्वारा, हमे बड़ो की इज्जत करनी चाहिये और छोटो के प्रति स्नेह का आचरण करना चाहिये, एवम महिलाओ और बुजुर्गो के प्रति विशेष सम्मान दिखाना चाहिये.इसके अतिरिक्त शरण मे आये व्यक्ति की रक्षा करना हमारा परम धर्म है.

भारत ही केवल एक ऐसा देश है जहाँ सर्वधर्म समभाव का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है, जितनी इज्जत हम अपने धर्म की करते है, उतनी ही इज्जत हमे दूसरो के धर्म की करनी चाहिये.यहाँ सुबह सुबह मंदिर से मन्त्रोचार की ध्वनि,मस्जिद से अजान,गुरूद्वारे से शबद कीर्तन की आवाज और चर्च से प्रार्थना की पुकार एक साथ सुनी जा सकती है.जितनी भाषाये यहाँ बोली जाती है, विश्व मे कहीं और नही बोली जाती.बोल-चाल,खान-पान,रहन-सहन मे अनेकता होते हुए भी हम एक साथ रहते है, एक दूसरे के तीज त्योहार मे शिरकत करते है, होली,दीवाली,ईद,बाराबफात, मुहर्रम,गुरपर्ब और क्रिसमस साथ साथ मनायी जाती है. मजारो ‌और मकबरो पर हिन्दूओ द्वारा चादर चढाना, और दूसरे सम्प्रदाय के लोगो का मंदिरो और गुरद्वारो पर दर्शन करना,मत्था टेकना बहुत आम बात है. यह हमारे धर्म और लोकाचार की सहनशीलता का जीता जागता उदाहरण है.

रही बात हमारे विभिन्न प्रकार के देवी देवता होने की…तो हिन्दू धर्म मे प्रकृति को हर तरह से पूजा गया है, चाहे वह वायू,जल,पृथ्वी, अग्नि या आकाश हो. इस प्रकार से हम प्रकृति के हर रूप की पूजा करते है, चाहे वह पहाड़ हो या कोई जीव जन्तु या हमारी वन्य सम्प्रदा, हमारी संस्कृति मे इन सबको विशेष स्थान दिया गया है.दुनिया मे ऐसी कोई संस्कृति नही होगी जहाँ प्रकृति को विभिन्न रूपो और स्वरूपो में पूजा गया है, रही बात त्योहारो से जुड़ी कहानियो की तो, सामान्य जनता जो उपनिषदो और वेदो की लिखी गूढ बातो को नही समझ सकती, उनके लोक आचरण के लिये विभिन्न ऋषि मुनियो ने अनेक गाथाये लिखी और उनको विभिन्न त्योहारो से इस तरह से जोड़ा कि सामान्य जन भी उसके साथ जुड़ सके और उसे अपना सके साथ ही ईश्वर का ध्यान और मनन कर सके.

इसके अतिरिक्त और भी चीजे हमारी संस्कृति मे जुड़ती रही, सारो का उल्लेख करना तो सम्भव नही हो सकेगा.. प्रमुख रूप से क्रिकेट की संस्कृति है, यह खेल अब हमारी संस्कृति मे शामिल हो गया है, क्रिकेटरो के अच्छे बुरे प्रदर्शन पर हमे हंसते रोते है, इनको अपने बच्चो से भी ज्यादा प्यार करते है, भगवान जैसी पूजा करते है, जब जीतते है तो तालिया बचाते है, जब हारते है तो गालिया देते है.

अब समस्या यहाँ आती है कि हम अपनी संस्कृति का कितना मान रख पाते है, वेद शास्त्र आपको रास्ता दिखा सकते है, लेकिन आपको उनपर चलने के लिये बाध्य नही कर सकते….एक और बात चूंकि ये सारे शास्त्र गूढ भाषा मे लिखे गये थे, इसलिये समय समय पर अनेक स्वार्थी धर्माचार्यो ने अपने और कुछ राजनीतिज्ञो के निहित स्वार्थो के लिये, इन शास्त्रो का मनमाने ढंग से विवेचना की और अपने फायदे के लिये इस्तेमाल किया. और अपनी दुकाने चलायी …भाई को भाई से लड़ाया और विभिन्न समुदायो मे आपस मे बैर और नफरत फैलायी……और जो आज तक जारी है.इन्ही लोगो की वजह से हमारे यहाँ कभी कभी दंगे फसाद होते है, लेकिन आपसी भाईचारा कभी खत्म नही होता.

मार्क ट्वेन ने १८५६ मे जब भारत का दौरा किया था तो उसने लिखा था, भारत सांस्कृतिक रूप से परिपूर्ण राष्ट्र है. वैसे भी समय समय पर कई विदेशी विद्वानो ने भारत का दौरा किया और यहाँ की संस्कृति को दूनिया मे सबसे उन्नत माना.यही हमारी संस्कृति है, और हम सभी भारतीयो को इस पर गर्व है.

GayatriRajurkar: Thank you so much
Answered by Anonymous
54

भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं।

Similar questions