Political Science, asked by sunnyshaurabh12, 7 months ago

भारतीय कला विरासत का संरक्षण वर्तमान समय की आवश्यकता है चर्चा कीजिए 1500 शब्दों में​

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Answered by RUPAMCHAKRABORTY
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उत्तर :

भारत की कला-संस्कृति एवं इसका इतिहास अत्यंत समृद्ध है एवं हमारी कला-संस्कृति की आधरशिला हमारे विरासत स्थल हैं। इन स्थलों के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व के साथ-साथ इनका व्यापक आर्थिक महत्त्व भी है लेकिन अब तक इनकी आर्थिक संभावनाओं का पर्याप्त दोहन नहीं हो पाया है।

भारतीय विरासत स्थलों की वर्तमान स्थितिः

भारतीय उपमहाद्वीप अपने स्मारकों एवं उल्लेखनीय पुरात्व स्थलों की विशाल संख्या के लिये जाना जाता है लेकिन विडंबना यह है कि भारत में 15,000 से भी कम स्मारक और विरासत स्थल कानूनी रूप से संरक्षित हैं, जबकि ब्रिटेन जैसे छोटे देश में 6 लाख स्मारकों को कानूनी संरक्षण प्राप्त है।

ऐसे स्थल जिन्हें राष्ट्रीय, राज्य अथवा स्थानीय महत्त्व के स्थलों के रूप में जाना जाता है, वे शहरी दबाव, अतिक्रमण, उपेक्षा, ध्वंस आदि के कारण बदहाल स्थिति में हैं।

हमारे विरासत स्थलों की बदहाल स्थिति के लिये वे संस्थाएँ भी जिम्मेदार हैं जिन्हें इनके संरक्षण का कार्य सौंपा गया है। एक तो इन संस्थाओं की वित्तीय स्थिति कमजोर है, दूसरा ये संस्थाएँ इन स्थलों की आर्थिक संभावनाओं से अनभिज्ञ हैं।

इन स्थलों को अधिक आकर्षक कैसे बनाया जाए?

सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करना होगा कि स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों का दौरा आगंतुकों के लिये रोमांचक अनुभव साबित हों। इसके लिये इन स्थलों से जुड़े सांस्कृतिक संदर्भ, इतिहास, संगीत, त्यौहार, खेल, अनुष्ठान आदि के बारे में आगंतुक को समझाया जाए। ऐसे स्थल जिन पर कम पर्यटक आते हैं, वहाँ सांस्कृतिक आयोजन किये जाने चाहिये।

इस क्षेत्र में उदारीकरण की आवश्यकता है एवं निजी संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, गैर-लाभकारी संस्थाओं आदि को इनके संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। ब्रिटेन में संरक्षण प्राप्त अधिकांश विरासत स्थल निजी स्वामित्व के अधीन है। ऐसा भारत में भी किया जा सकता है।

इन स्थलों के लिये स्थानीय सामग्री का प्रयोग किया जाए एवं स्थानीय समुदाय के कौशल का प्रयोग किया जाए ताकि स्थानीय निवासियों की आजीविका का जुड़ाव इनसे होने से इनका संरक्षण आसान होगा।

संपत्ति कर में छूट, भूमि उपयोग में बदलाव की अनुमति एवं विकास अधिकारों का हस्तांतरण जैसे प्रोत्साहनों के माध्यम से इन स्थलों एवं स्मारकों के स्वामियों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

इनका उपयोग हॉटलों, संग्रहालयों एवं पुस्तकालयों के रूप में किया जा सकता है।

इस प्रकार, इन विरासत स्थलों को संरक्षित कर एवं इन्हें अधिकाधिक आकर्षक बनाकर इन्हें पसंदिदा गंतव्य स्थलों के रूप में विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे रोजगार सृजन एवं अतिरिक्त आय सृजन के माध्यम से देश की विकास दर को तीव्र किया जा सकता है।

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