भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता और धर्म पर निबन्ध
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सोने की चिड़िया कहलाने वाली हमारे भारत देश को मानो किसी की बुरी नजर लग गई है। देश का हर एक शक्स परेशान हैं। बच्चों पर किताबों का बोझ सवार है जिससे वह लाचार एवं परेशान हैं। आज युवा परेशान हैं यह कहकर की उनको कोई समझता नहीं है। मेरा सवाल है कि आखिर क्यों सब परेशान हैं।
भारत में आबादी कम नहीं हो रही है कि उधर राजनीति दंगल हर दिन हर दिन सरकार की परेशानी को बढ़ा रही है।
समझ नहीं आता है कि धर्म के लोग देश में अशांति चाहते हैं या फिर आम लोग जो खुद के घर में शांति से जीना चाहते हैं।
आज जय श्री राम नारा देने से राजनीतिक मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं। भगवान के इस सुंदर दुनिया में आखिरकार भगवान के नाम पर इतना कट्टरपन क्यों है?
सरकार अपनी सत्ता संभालने के लिए नए प्लान लागू करती है। दूसरी ओर दंगे ,फसाद लागू हो जाता है आखिर क्यों ऐसी संकीर्ण हरकतें हो रही है।
देश में शांति, समानता , धार्मिक कट्टरवाद सब दूर हो सकता है यदि फिर से हम एक हो जाएं। यदि हम कबीर वाणी को अपनाएं उनके बातों को माने तो हमारे अंदर का मतभेद अपने आप ही समाप्त हो जाएगा।
आइए दूर करें सबके मतभेद को साथ आकर राजनीतिक कट्टरपन को दूर करें।