भाव स्प्षट कीजिए - खा खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी ।
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yaha pr vyang kiya gya h immandar or bhrastachari(corrupted)logo pr ki immandar logo ko kabhi ahnkaar nhi hota parantu bhrastachari apni jhooti or gairkannoni tareekey ki kamai pr ahnkaar krtey h unhe jitna bhi de do veh santutsh nhi hotey
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Answer Explanation:
भाव यह है कि मनुष्य को संयम बरतते हुए सदैव मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। अधिकाधिक भोग-विलास में डूबे रहने से मनुष्य को कुछ नहीं मिलता है और भोग से पूरी तरह दूरी बना लेने पर उसके मन में अहंकार जाग उठता है।
अत: कवयित्री ने ऐसा कहा है क्योंकि भोग से दूरी बनाते-बनाते लोग इतनी दूरी बना लेते हैं कि वे वैराग्य धारण कर लेते हैं। उन्हें अपनी इंद्रियों को वश में करने के कारण घमंड हो जाता है। वे स्वयं को सबसे बड़ा तपस्वी मानने लगते हैं।
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