भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
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भक्तिन के व्यक्तित्व में गुणों के साथ-साथ अनेक दुर्गुण भी निहित थे जो निम्नलिखित हैं
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1. भक्तिन घर में इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे को भंडार घर की मटकी में छुपा देती है और अपने इस कार्य को चोरी नहीं मानती थी।
2. महादेवी के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन बात को इधर-उधर करके बताने को झूठ नही मानती। अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए वह तर्क-वितर्क भी करती है।
3. भक्तिन स्वयं बिलकुल नही बदलती पर दूसरों को अपनी इच्छानुसार बदल देना चाहती है।
4. भक्तिन शास्त्रीय बातों की व्याख्या अपनी इच्छानुसार करती थी।
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भक्ति पेसो को चुराती मगर उसे चोरी नही मानती ओर अपने हिसाब से सब कुछ चलाना और सबको अपने हिसाब से मनवाना चाहती थी और झूट को सच बताने के लिए जवाब तैयार करके रखती थी और अपने झूट को छुपाने के लिए भक्ति बातो का फेर फरेक भी करती थी
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