Hindi, asked by navneet2986, 3 months ago

भक्ति विमुख जय धर्म सो सब अधर्म करी गई किस कवि ने कहा है​

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Answered by shishir303
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¿ भक्ति विमुख जय धर्म सो सब अधर्म करी गई किस कवि ने कहा है​ ?

✎... ‘भक्ति विमुख जय धर्म सो सब अधर्म करी गई’ यह बात कबीर ने कही है।

कबीर कहते हैं कि भक्ति से विमुख जितने भी धर्म है, अतः वे धर्म जो ईश्वर की सच्ची भक्ति से विमुख करते हैं, वह वास्तव में धर्म नहीं हैं, वह अधर्म हैं। ईश्वर की सच्ची आराधना करना ही सच्चा धर्म है, उसके अतिरिक्त सब व्यर्थ है।  

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Answered by anjarjaat
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Explanation:

56 56 kavit adhinayak

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