Bharat k parv avam tehovar pr nibandh
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उत्सव प्रिया मानवा
अर्थात मानव उत्सव पर यह होता है प्रत्येक जाति एवं समाज अथवा राष्ट्र के जीवन में पर्वों तथा त्योहारों का विशेष महत्व है। संसार के विभिन्न विभागों में बसने वाली प्रत्येक जाते या राष्ट्र कुछ दिन ऐसे रहता है। जिनका महत्व समान तीनों से अधिक होता है। इन्हीं दिनों को पर्व कहा जाता है ।अतीत के गौरव को सांसद बनाने के लिए प्रभु की प्रतिष्ठा की जाती है ।यह पर्व एवं त्यौहार किस जाति के प्राचीन गौरव के स्मारक तथा भविष्य के मार्गदर्शन अथवा प्रिंटर होते हैं।
जीवन में प्रभु एवं त्योहारों का स्थान -भारतीय संस्कृति एवं जीवन में पर्वों का अपना विशेष महत्व है। भारत के संबंध में यह कहावत प्रचलित है कि यहां 9 दिन 13 त्योहार होते हैं । वर्ष के 365 दिनों में शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब कोई परवाह त्यौहार ना मनाया जाता है ।इन पर्वों को मनाने से जीवन की एकता एवं नीरसता दूर होती है। सामाजिक प्राणी होने के कारण मानव अपने सुख-दुख का विभाजन अपने समाज के साथ करता है। वह अपने बंधे बंधाए जीवन में परिवर्तन चाहता है ।इसीलिए अपने दैनिक कार्यों में आनंद उत्साह और स्फूर्ति के संचार के लिए विविध प्रभु को मनाता है ।इन अफसरों पर व समाज के लोगों के साथ मिलकर अपनी व्यक्तिगत उत्थान की अपेक्षा समाज की उन्नति के लिए प्रयासरत रहता है |
भारत के पर्व एवं त्यौहार विभिन्नता में एकता भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विशेषता है ।यहां विभिन्न जातियों धर्मों एवं वर्गों के लोग परस्पर मिलजुल कर रहते हैं ।अतः वर्ष भर अनेक पर्व मनाए जाते हैं ।इनमें से कुछ का संबंध किसी विशेष धर्म संप्रदाय अथवा जाति से है ।उसका सामान से कुछ कार्यों से तो कुछ का फसलों से कुछ करो राष्ट्रीयता की भावना से अनुप्राणित होकर मनाया जाते हैं ।
राष्ट्रीय पर्व राष्ट्रीय पर्वों में प्रमुख रूप से तीन पर्व मनाए जाते हैं ।स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस एवं गांधी जयंती अंग्रेजों की अनेक वर्षों की दास्तां से जिस दिन हमारा देश स्वतंत्र हुआ था । उस दिन अर्थात 15 अगस्त को पूरा रास्ता स्वतंत्रता दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।
26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू किया गया था तथा भारत को संपूर्ण प्रभुता संपन्न राज्य घोषित किया गया था । इसी कारण 6 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस का पर्व मनाया जाता है दिल्ली की गणतंत्र दिवस परेड झांकियां इसका प्रमुख आकर्षण होते हैं । देश को सत्य और अहिंसा के शस्त्रों से आजादी दिलवाने वाले देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है । इनके अतिरिक्त बाल दिवस शिक्षक दिवस आता है। इन सभी पर्वों को समस्त देशवासी जाति धर्म संप्रदाय की सीमाओं से निकलकर अत्यंत उत्साह पूर्वक राष्ट्रीय एकता प्रकट करते हैं ।
धार्मिक पर्व भारतीय समाज के त्योहारों में धार्मिक त्योहारों का भी विशेष महत्व है ।
हिंदुओं में प्रचलित प्रमुख पर्व है होली दीपावली रक्षाबंधन इत्यादि उल्लास का प्रतीक है ।रंग लगाकर गले मिलकर अपने पराए के भेदभाव को भूल जाते हैं। भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने की खुशी में दीपों का पर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाते हैं ।इस दिन धन की देवी लक्ष्मी एवं शुभ गणेश जी की पूजा करके लोग घर आंगन को दीपों से प्रकाशित करते हैं ।अधर्म पर धर्म असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में दशहरे का पर्व मनाया जाता है। स्थान स्थान पर रामलीला का आयोजन है ।भाई के पावन स्नेह का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जाता है ।सिखों का प्रमुख परिवहन गुरु पर्व इन में गुरु नानक देव गुरु गोविंद सिंह आदि के जन्मदिन मनाए जाते हैं ।मुसलमानों के प्रमुख पर्व है ईद बकरी ईद रमजान एवं मोहर्रम और ईसाइयों के प्रभाव में प्रमुख है क्रिसमस डे अथवा बड़ा दिन इस गुड फ्राइडे एवं नव वर्ष इसी प्रकार सभी धर्मों के प्रभु को यहां परस्पर मिलजुलकर एकता एवं सद्भाव पूर्वक मनाया जाता है ।
रितु एवं फसल पर्व बसंत पंचमी एवं शरद पूर्णिमा इत्यादि पर्वों का संबंध ऋतु है ।
अतः इन्हें ऋतु पर्व कहते हैं इनके की लोहड़ी एवं बिहू आदि पर्व फसलों से संबंधित किसानों की उल्लास को व्यक्त करते हैं। इन्हीं में नाच गाकर मनाते हैं ।इसी प्रकार छोटे-बड़े अनेक त्यौहार है जो हमारे जीवन में आनंद का संचार करते हैं ।
सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता के प्रतीक पर्व राष्ट्रीय हो या धार्मिक विशेष से संबंधों के मुसलमानों के भारत मिलता है। एक और हिंदुओं के महान पर्व होली दीपावली आदि में अन्य धर्मों के लोग भी सम्मिलित होते हैं । तो मुसलमानों की ईद ईसाइयों के बड़े दिन सिक्खों के गुरु पर्व इत्यादि में हिंदू सामान श्रद्धा विश्वास उत्साह एवं प्रेम से भाग लेते हैं। होली के रंग से सभी को सराबोर कर देते हैं दीपावली पर सभी खुशियों के दीप जलाते हैं । ईद पर सभी प्रेम से गले मिलते हैं । लोहरी एवं बैसाखी पर ढोल की ताल पर सभी के उठते हैं राष्ट्रीय पर्व भी सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता को ही पुष्ट करते हैं क्योंकि उन्हें सारा राज खुशी और उल्लास के साथ मनाता है स्पष्ट है कि यहां के सभी पर एवं त्योहार सामूहिकता के दयोटक है।
धन्यवाद