भरत का आत्म परिचय उनके चरित्र के किस उज्जवल पक्ष की ओर संकेत करता है
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भरत का आत्म परिचय उनके चरित्र के किस उज्जवल पक्ष की ओर संकेत करता है:
भरत का आत्मपरिताप उनके चरित्र के उज्जवल पक्ष को उजागर करता है कि वह स्वार्थी नहीं थे।
व्याख्या :
अपनी माता कैकेयी के द्वारा पुत्र मोह में आकर राम के लिए 14 वर्ष का वनवास और भरत के लिए अयोध्या का राज्य मांगा जाना उन्होंने पसंद नहीं किया। उनकी माता कैकेयी द्वारा की गई भूल के कारण उनके बड़े भाई राम को वनवास जाना पड़ा और पिता भी दुख के कारण स्वर्ग सिधार गए। इस बात के लिए भरत ने स्वयं को दोषी माना और अपनी माँ की गलती के लिए वे स्वयं प्रायश्चित करते हैं। उनका मानना था कि इस सारे घटनाक्रम के दोषी वही हैं क्योंकि यदि वह नहीं होते तो उनकी माँ यह गलती कभी नहीं करती। इसलिए वह अपनी माँ पर दोषारोपण न करके अपने ऊपर ही ले लेते हैं। इसे अपने पूर्व जन्म का दोष मानते हैं। उनके उज्ज्वल चरित्र को प्रकट करता है और उनकी चरित्र की निस्वार्थता तथा बड़े भाई राम के प्रति प्रेम को प्रकट करता है।