Bimar mataji ki swasthik kai khbar daitai hua pitaji ko patra
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आपातकालीन संघर्ष के विषय में काफी साहित्य प्रकाशित हो चुका है; किंतु इस संघर्ष का समग्र, प्रमाणबद्ध तथा अधिकृत इतिहास अब तक जनता के सामने नहीं आ सका । इसके कुछ कारण भी हैं ।
अब तक प्रकाशित साहित्य का दो श्रेणियों में वर्गीकरण किया जा सकता है । एक आत्मनिवेदनपरक और दूसरा वस्तुनिष्ठ । आत्मनिवेदनपरक साहित्य की मर्यादाएँ समझ में आ सकती हैं । आत्मनिवेदन के द्वारा समग्र इतिहास संकलित होने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि इस अभियान में सिपाही या संचालक के नाते काम किए हुए सभी व्यक्तियों का आत्मनिवेदन प्रकाशित हो । यह अब तक हुआ नहीं और आगे भी होने की संभावना नहीं ।
अब तक प्रकाशित साहित्य का दो श्रेणियों में वर्गीकरण किया जा सकता है । एक आत्मनिवेदनपरक और दूसरा वस्तुनिष्ठ । आत्मनिवेदनपरक साहित्य की मर्यादाएँ समझ में आ सकती हैं । आत्मनिवेदन के द्वारा समग्र इतिहास संकलित होने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि इस अभियान में सिपाही या संचालक के नाते काम किए हुए सभी व्यक्तियों का आत्मनिवेदन प्रकाशित हो । यह अब तक हुआ नहीं और आगे भी होने की संभावना नहीं ।
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