History, asked by kundanmouriya, 9 months ago

बताइए चंदू बंदू एंव कननू भारत के सवतंत्रता संगाम से जुड़े किन महापुरुषों की चर्चा कर रहे हैं?

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Answered by GUNASAISUJITH
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Answered by kumaripriyanka86120
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नई दिल्लीः हम जब भी आजादी की बात करते हैं सबसे पहले हमारे मन में उन महापुरुषों का नाम सबसे पहले आता है, जिनके एक नारे ने देश की आजादी की लड़ाई में क्रान्ति ला दी, या फिर यूं कहें कि उनके विचार और उनकी जिद ही थी जो आज हम सभी आजादी से अपनी जिंदगी जी पा रहे है. अगर हमारे देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी और चंद्रशेखर आजाद जैसे महापुरुष और स्वतंत्रता सेनानी न होते तो शायद ही हम इस स्वतंत्र राष्ट्र में सांस ले सकते, तो चलिए Republic day पर हम आपके लिए लेकर आए हैं हमारे देश के महापुरुष और स्वतंत्रता सेनानी के ऐसे नारे जो आपको जोश से भर देंगे और इस बात का एहसास कराएंगे, कि यह उन्हीं की मेहनत और लगन है जो आज हम इस लोकतांत्रिक देश में आजादी से जी पा रहे हैं.

"जय हिंद": नेताजी सुभाष चंद्र बोस- देशभक्ति का प्रतीक और भारत की विजय का प्रतीक 'जय हिंद' का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एक युद्ध घोष के रूप में दिया था, जिसके बाद यह देशभक्ति का प्रतीक बन गया और पूरे भारत देश में प्रचलित हो गया.

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'': नेताजी सुभाष चंद्र बोस का यह नारा आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है. बता दें जुलाई 1944 में जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपनी ''आजाद हिंद फौज'' के साथ वर्मा पहुंचे थे, तब उन्होंने यहीं ''तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'' का नारा दिया था.

"अब भी जिसका खून नहीं खौला, खून नहीं वो पानी है, देश के काम न आए वो बेकार जवानी है" - चंद्रशेखर आजाद- युवाओं को देश के प्रति जागरुक और कुछ भी कर गुजरने का संदेश देने वाला यह नारा देश के उस स्वतंत्रता सेनानी की है, जिसने कभी भी अंग्रेजों के सामने अपना सिर नहीं झुकाया था. यहां तक की मौत को सामने देखकर भी वह घबराए नहीं और खुशी-खुशी देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी, जी हां हम बात कर रहे हैं चंद्रशेखर आजाद की. जिन्होंने आजादी की लड़ाई के समय "अब भी जिसका खून नहीं खौला, खून नहीं वो पानी है, देश के काम न आए वो बेकार जवानी है" का नारा दिया था.

स्वतंत्रता आंदोलन के संबंध में चंद्रशेखर आज़ाद की एक अत्यंत क्रांतिकारी विचारधारा वाले व्यक्ति थे. आजाद नाम होने की वजह से वह लोगों के बीच में बहुत अधिक लोकप्रिय थे. आजाद ने बहुत कम ही उम्र में विभिन्न हिंसक आंदोलनों में भाग लेना शुरू कर दिया था. इन्होंने " दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे " : प्रमुख नारे दिए.

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