चोल काल के अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर से पायी गईं कांस्य प्रतिमाओं के मुद्रित चित्र खोजें
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हिमाचल प्रदेश और कश्मीर से पायी गईं कांस्य प्रतिमाओं के मुद्रित: हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के क्षेत्रों में भी बौद्ध देवताओं तथा हिंदू देवी-देवताओं की कांस्य प्रतिमाएं बनाई जाती थी| इन में से अधिकांश मूर्तियाँ आठवीं और नौवीं और दसवीं शताब्दियों की बनी पाई गई है| भारत के अन्य भागों में पाई जाने वाली प्रतिमाओं से अगर इस प्रतिमाओं की तुलना की जाए तो दोनों के बीच स्पष्ट अंतर दिखाई देता है |
परिवर्तन यह पाया गया है कि , इस क्षेत्रों में चार सिरों वाले चतुरानन विष्णु की पूजा की जाती थी| यह व्यूह सिद्धांत पर आधारित है और ऐसे चतुरानन विष्णु को बैकुंठ विष्णु कहा जाता है| विष्णु की चतुरानन मूर्ति का मध्यवर्ती या केन्द्रीय मुख वासुदेव का होता है और बाकी दे मुख नरसिंहा और वराह के होते है | नरसिंहा अवतार हिमाचल प्रदेश में पाई जाने वाली मूर्तियाँ में अत्यंत प्रचलित और लोकप्रिय रही है|
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Explanation:
हिमाचल प्रदेश और कश्मीर से पायी गईं कांस्य प्रतिमाओं के मुद्रित: हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के क्षेत्रों में भी बौद्ध देवताओं तथा हिंदू देवी-देवताओं की कांस्य प्रतिमाएं बनाई जाती थी| इन में से अधिकांश मूर्तियाँ आठवीं और नौवीं और दसवीं शताब्दियों की बनी पाई गई है| भारत के अन्य भागों में पाई जाने वाली प्रतिमाओं से अगर इस प्रतिमाओं की तुलना की जाए तो दोनों के बीच स्पष्ट अंतर दिखाई देता है |
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