चोल कालीन स्थापत्य कला के दो उदाहरण दीजिए
sonabaheshwar143:
good ☺️
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चोल कला और मूर्तिकला शैली पल्लवों के समान हैं, अधिकांश मंदिरों में संरचनाओं को पत्थर और धातु से तराशा गया था। ... चिदंबरम में राजा राजेश्वर मंदिर और गंगाईकोंडा चोलापुरम मंदिर और नटराज मंदिर की आंतरिक दीवारों पर चित्रित पुराणों के विषय थे। माना जाता है कि मार्को पोलो तंजावुर के बृहदेश्वरार मंदिर में है।
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चोलकालीन स्थापत्यकला वाले मंदिरों में कोरंगनाथ का मंदिर , तंजौर का बृहदीश्वर मंदिर या 'राजराजेश्वर मंदिर' आदि चोल स्थापत्यकला के उत्कृष्ट नमूने हैं।
- इस मंदिर के निर्माण की यह खासियत है कि इस मंदिर का जो गुंबद है उसकी परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती है।
- इसके शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। और उसका भार 2200 मन (80टन) है । और यह एक ही पाषाण से बना हुआ मंदिर है। मंदिर में स्थापित विशाल , भव्य शिवलिंग को देखने पर उसका बृहदेश्वर नाम सर्वथा उचित (उपयुक्त) प्रतीत होता है।
- तंजावुर में यह दो शानदार मंदिर और तिरुचिरापल्ली जिले में गंगाईकोंडा चोलापुरम में चोल कला और वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन होता है।
- चोल कालीन शासकों ने द्रविड़ शैली के अंदर गलत ईटों की जगह पत्थरों और सिलाओ का प्रयोग कर ऐसे ऐसे मंदिर बनाएं, जिसका अनुसरण पड़ोसी राज्य एवं देशों ने किया।
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