Hindi, asked by yadavsharda331, 5 months ago

चित्र
Chitra varnan ​

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Answered by ubaidmum008
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Explanation:

चित्र वर्णन की परिभाषा और उदाहरण | Chitra Varnan in Hindi Examples

मनुष्य को ईश्वर ने कल्पनाशक्ति का वरदान दिया है। किसी भी वस्तु, दृश्य या चित्र को देखकर उसके मन में अनेक भाव जन्म लेने लगते हैं। हर व्यक्ति का अपना एक अलग दृष्टिकोण होता है। अपने अनुभव के कारण किसी घटना व वातावरण के प्रति उसकी अपनी प्रतिक्रिया होती है। अपने इस अनुभव व प्रतिक्रिया को सशक्त व प्रभावशाली भाषा के माध्यम से व्यक्त कर पाना ही ‘चित्र वर्णन’ का उद्देश्य है। किसी चित्र को देखकर उससे संबंधित मन में उठने वाले भावों को अपनी कल्पनाशक्ति के माध्यम से अभिव्यक्त करना ही ‘चित्र-वर्णन’ कहलाता है।

वर्णन के लिए दिया गया चित्र किसी घटना को दर्शाने वाला, कोई एक पूर्ण स्थिति को व्यक्त करने वाला, किसी व्यक्ति विशेष का या प्रकृति से संबंधित हो सकता है। किसी भी चित्र का वर्णन करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

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चित्र-लेखन की विशेषताएँ

पहले चित्र को बारीकी से देख लेना चाहिए।

चित्र में नज़र आ रही मुख्य बातों को बिंदुओं में लिख लेना चाहिए।

चित्र में दिखाई दे रही वस्तुओं का वर्णन करते समय उसमें अपनी कल्पना के रंगों को भरना चाहिए।

चित्र में दिखाई दे रहे व्यक्तियों के मुख के हाव-भाव के आधार पर चारित्रिक विशेषताएँ, सुख-दुख व आशा-निराशा का वर्णन करना चाहिए।

यदि किसी महापुरुष अथवा चर्चित व्यक्ति का चित्र है तो उस व्यक्ति के प्रति निजी विचारों, भावों को प्रस्तुत किया जा सकता है।

प्राकृतिक दृश्यों में कल्पना की उड़ान भरने का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।

भावों को अभिव्यक्त करते समय अच्छे शब्दों व भाषा का प्रयोग सराहनीय होता है।

वाक्य रचना करते समय उक्तियों, मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग भी भाषा को सुंदर बनाता है।

वाक्य रचना पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।

उचित विराम-चिन्हों का प्रयोग भी आवश्यक होता है।

चित्र वर्णन करना भी एक कला है जिसे अभ्यास के माध्यम से बेहतर बनाया जा सकता है।

एक बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि चित्र-वर्णन करते समय अतिश्योक्ति का सहारा न लिया जाए अन्यथा अस्वाभाविक चित्रण अर्थ का अनर्थ भी कर सकता है।

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