CHALNA HAMARA KAAM HAI POETRY KA Sandesh
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कवी शिवमंगल सिंह जी 'चलना हमारा काम है' कविता में कहते हैं कि जब उनके सामने इतना बड़ा रास्ता है और पैरों में गति है तो दर दर भटकने की जगह क्यों न वे मंजिल पर पहुँचने तक चलते रहें।
वे कहते हैं कि उनका नाम राही है और चलना उनका काम है। रास्ते में उन्हें कोई मिली तो उसके साथ बात करके रास्ता आसानी से कट गया।
वे जीवन की आशा निराशा का सामना करते हुए आगे बढ़ते गए। उनका ध्यान इस ओर था कि कहीं उनकी गति धीमी न हो जाये।
उन्होंने अन्य लोगों के समान सुख दुःख भी झेले। परन्तु शिकायत करे बिना आगे बढ़ते गए।
वे पूर्णता की खोज में आगे बढ़े। रास्ते में अनेक रोड़े आये पर वे निराश नहीं हुए। उन्होंने समझा कि जीवन इसी का नाम है।
कुछ लोग साथ में चले, कुछ बीच में मुड़ गए और कुछ गिर गए। परन्तु समय की गति नहीं रुकी। जो चलता रहा उसीको सफलता मिली।
इसलिए वे कहते हैं कि हर हाल में, चलना हमारा काम है।
वे कहते हैं कि उनका नाम राही है और चलना उनका काम है। रास्ते में उन्हें कोई मिली तो उसके साथ बात करके रास्ता आसानी से कट गया।
वे जीवन की आशा निराशा का सामना करते हुए आगे बढ़ते गए। उनका ध्यान इस ओर था कि कहीं उनकी गति धीमी न हो जाये।
उन्होंने अन्य लोगों के समान सुख दुःख भी झेले। परन्तु शिकायत करे बिना आगे बढ़ते गए।
वे पूर्णता की खोज में आगे बढ़े। रास्ते में अनेक रोड़े आये पर वे निराश नहीं हुए। उन्होंने समझा कि जीवन इसी का नाम है।
कुछ लोग साथ में चले, कुछ बीच में मुड़ गए और कुछ गिर गए। परन्तु समय की गति नहीं रुकी। जो चलता रहा उसीको सफलता मिली।
इसलिए वे कहते हैं कि हर हाल में, चलना हमारा काम है।
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वे कहते हैं कि उनका नाम राही है और चलना उनका काम है। रास्ते में उन्हें कोई मिली तो उसके साथ बात करके रास्ता आसानी से कट गया।
वे जीवन की आशा निराशा का सामना करते हुए आगे बढ़ते गए। उनका ध्यान इस ओर था कि कहीं उनकी गति धीमी न हो जाये।
उन्होंने अन्य लोगों के समान सुख दुःख भी झेले। परन्तु शिकायत करे बिना आगे बढ़ते गए।
वे पूर्णता की खोज में आगे बढ़े। रास्ते में अनेक रोड़े आये पर वे निराश नहीं हुए। उन्होंने समझा कि जीवन इसी का नाम है।
कुछ लोग साथ में चले, कुछ बीच में मुड़ गए और कुछ गिर गए। परन्तु समय की गति नहीं रुकी। जो चलता रहा उसीको सफलता मिली।
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