chhtra anushasan ki pathsala (upaye)
Answers
अनुशासन का अर्थ है, कुछ नियमों का पूरा आश्वासन। समाज की प्रगति और व्यक्तित्व विकास के लिए भी अनुशासित रहना बहुत महत्वपूर्ण है। यह सभी छात्रों के लिए अति आवश्यक है। चूंकि छात्र जीवन कुछ नया सीखने और संवारने का समय होता है।
एक छात्र को निष्ठा वान, समर्पित, दृढ़ और अपने लक्ष्यों पर केंद्रित होना चाहिए। अनुशासन उनके व्यक्तित्व को एक आकार देने और उनके चरित्र को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
एक छात्र की एक नियमित समय सीमा होना चाहिए। उसे अपने अध्ययन के प्रति ईमानदार होना चाहिए। उसे कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उसे अन्य विभिन्न गतिविधियों के लिये हमेशा तैयार और सक्रिय रहना चाहिए। उसे कठिन परिस्थितियों का सामना करना सीखना चाहिए और उन परिस्थितियों में कैसे जीतना यह भी आना चाहिए।
एक छात्र, देश का भविष्य होता है। छात्र वह है, जिसको आगे जाकर देश की जिम्मेदारी लेनी है। उसे हमेशा स्वस्थ और योग्य होना चाहिए। छात्रों के लिए पढ़ाई और ईमानदारी के साथ शारीरिक शिक्षा भी महत्वपूर्ण होती है। एक छात्र का हमेशा अच्छा स्वास्थ्य होना चाहिए जिससे की वह अपने नित दिन के कार्य और शिक्षा को अच्छे से पूर्ण कर सके।
इसके लिए उसको सुबह जल्दी उठना चाहिए और उसको दैनिक रूप से व्यायाम करना चाहिए। उन्हें अपनी पसंद का खेल प्रतिदिन खेलना चाहिए। यह कहा जाता है कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का विकास होता है, इस तरह उनका मस्तिष्क मजबूत और तेज होगा, जब वह शारीरिक रूप से मजबूत और स्वस्थ होगें।
एक छात्र का सबसे बड़ा काम पढाई करना होता है। छात्र को अपनी पढ़ाई के लिए बहुत समर्पित और ईमानदार होना चाहिए। उसको अपनी समय सीमा बनानी चाहिए। उन्हें समय के महत्व का ज्ञान होना चाहिए।
उसे नियमित रूप से अपना गृहकार्य करना चाहिए और उनमें नई चीजें सीखने की तीव्र इच्छा रखनी चाहिए। उसे अपने शिक्षकों और बुजुर्गों का आदर करना चाहिए। उसको अपने दोस्तों के लिए सहयोगी बनना चाहिए। उसे ज़रूरतमंदों की मदद भी करनी चाहिए।
अनुशासन स्वयं पर नियंत्रण और समर्पण सिखाता हैं। जो खुद को नियंत्रित नहीं कर सकता, वह कभी भी दूसरों को नियंत्रित नहीं कर सकता है। उन्हें समाज के हित में अपने व्यक्तित्व को समर्पित करना चाहिए। अनुशासन एक पुण्य कार्य है।
इसे बाल्यावस्था से विकसित करने की जरूरत होती है। इसे रातोंरात विकसित नहीं किया जा सकता है। इसमें समय लगता है और इसके लिये धैर्य की आवश्यकता होती है। जब अनुशासन बाध्य हो जाता है, तो वह वांछित परिणाम लाने में असफल रहता है और जिससे अनुशासन का सही सार कही खो जाता है और तब वह इंसान, इंसान न रहकर एक मशीन बन जाता है।
विद्यार्थी जीवन, जिंदगी की गठन अवधि है। इस समय के दौरान वयस्कता की नींव रखी जाती है। मनुष्य अपनी आदतों और शिष्टाचार के साथ इस समय के दौरान आगे बढ़ता है। ये सारी आदतें बदलती नहीं हैं, इसलिये एक छात्र को अपने छात्र जीवन में काफी अनुशासित होना चाहिए।
जो अनुशासन का पालन करता है। वह अपने जीवन में ऊंचाईयों को प्राप्त करता है। महान पुरुषों के जीवन अनुशासन के उदाहरण है। महान पुरुषों ने अपने जीवन में छाप छोड़ दी, क्योंकि वे सख्ती से अपने लक्ष्य को ईमानदारी के साथ पालन करते थे।
इसलिए, हमें जीवन के प्रारंभिक चरण से अनुशासित होने का प्रयास करना चाहिए। विद्यालय और घर पर अनुशासन के कुछ नियम बनाये जाने चाहिए। माता-पिता, शिक्षकों और बुज़ुर्गों की इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक छात्र को हमेशा अच्छी आदतें सीखना चाहिए। इससे अच्छे समाज और राष्ट्र के गठन की भी संभावनायें बनी रहती है।