Hindi, asked by sureshnikam792, 1 month ago

डाल हिलाकर ----------- गीत नया गाती है । इन काव्यपंक्तियों का भावार्थ लिखिए ।​

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Answered by qwstoke
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डाल हिलाकर आम बुलाता तब कोयल आती है।नहीं चाहिए इसको तबला,

नहीं चाहिए हारमोनियम,

छिप-छिपकर पत्तों में यह गीत नया गाती है!

उपूर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ नीचे दिया गया है

दी गई काव्य पंक्तियां महादेवी वर्मा लिखित कविता

" कोयल " से ली गई हैं

इन पंक्तियों का अर्थ है

  • आम के पेड़ की डाल जब हिलने लगती है , ऐसा प्रतीत होता है कि आम का पेड़ डाल हिला - हिलाकर कोयल को बुला रहा हो।
  • तब कोयल आती है, इसे तबले या हारमोनियम की कोई आवश्यकता नहीं , कोयल का सुर ही गीतों में जान डाल देता है।
  • कोयल पेड़ के पत्तों मै छिप - छिपकर नए नए गीत गाती है।
Answered by shishir303
1

डाल हिलाकर आम बुलाता

तब कोयल आती है।

नहीं चाहिए इसको तबला,

नहीं चाहिए हारमोनियम,

छिप-छिपकर पत्तों में यह तो

गीत नया गाती है!

भावार्थ : कवयित्री महादेवी वर्मा द्वारा रचित “कोयल” नामक कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवयित्री कह रही हैं कि जब सदाबहार मौसम की बाहर आती है, तो आम के पेड़ सहित सभी पेड़ो की डालियां झूमने लगती हैं। ऐसा लगता है, कि आम का पेड़ अपनी डालियों को हिलाकर कोयल को बुला रहा हो। तब कोयर आती है, अपने मधुर स्वर में गीत गाने लगती है। कोयल को अपने मधुर गान के लिये तबला, हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्र की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि वह तो पत्तों के झुरमुट में छिपकर ही अपने मधुर स्वर में ऐसा मधुर संगीत का समां बाँधती है कि चारों तरफ का वातावरण मंत्रमुग्ध हो जाता है।

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