डायरिया होने पर ओ आर एस का घोल क्यों देना चाहिए
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िहन्दुस्तान प्रितिनिधपटना। डायिरया शब्द सुनने में साधारण लगता है। लेकिन यह बीमारी छोटी नहीं है। अिधकांश छोटे बच्चों इसी से ग्रस्त होकर मरते हैं। साधारण लोगों के साथ-साथ िचकित्सकों को भी बताना होगा कि बच्चों को डायिरया होने पर ओरआरएस घोल औरजिंंक टैबलेट देने की सलाह दें। देखा जा रहा है कि 74 फीसदी डायिरया का इलाज ओआरएस औरजिंंक से न करके एंटीबायिटक से किया जा रहा है। िबहार में ओआरएस औरजिंंक से महज 22 फीसदी इलाज किया जा रहा है। यह कहना है स्वास्थ्य िवभाग के प्रधान सिचव सीके िमश्रा का। वे सोमवार को राज्य स्वास्थ्य सिमित, यूिनसेफ और माइक्रोन्यूिट्रएंट की ओर आयोिजत कार्यशाला को संबोिधत कर रहे थे। इस कार्यशाला का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री नन्दकिशोर यादव ने किया। कार्यशाला में चर्चा का िवषय था ‘यूज ऑफजिंंक एंड लो ओसमोलर ओआरएस इन मैनेजमेंट ऑफ चाइल्डहुड डायिरया इन िबहार’। प्रयोग के तौर परजिंंक और ओआरएस को वैशाली में चालू किया गया था। बेहतर नतीजे सामने आए। अब उसी को दसजिंलों में शुरू किया जा रहा है।जिंनजिंलों में इसकी शुरुआत की जा रही है। इनमें अिधकांशजिंले कोसी क्षेत्र के हैं। इससे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नन्द किशोर यादव ने कहा कि छोटे बच्चों के साथ-साथ छह से 14 साल के डेढ़ करोड़ बच्चों की इलाज की व्यवस्था की जा रही है। इन बच्चों का स्कूल में हेल्थ चेकअप किया जाएगा। उन्होंने कहा किजिंंक की गोली और ओरआरएस घोल के सेवन से बच्चों की मृत्युदर में कमी आ सकती है। सभी पंचायतों में सिमित का गठन किया जा रहा है। िरवन्यू िवलेज मेंजिंने गांव आएंगे उनमें प्रत्येक को दस हजार रुपए िदए जाएंगे।जिंससे लोग अपने अनुसार डॉक्टर बुलाकर इलाज करा सके। यूिनसेफ के कंट्री हेड डॉक्टर हेनरी का कहना है कि बच्चों के डायिरया में एंटीबायोिटक का उपयोग बेवजह किया जाता है। उसकी कोई जरूरत नहीं होती। लेकिन डॉक्टर बच्चों को एंटीबायिटक खाने के िलए बाध्य कर देते हैं। ओआरएस औरजिंंक के प्रयोग से काफी फायदे हैं। डायिरया में आंत (इंटेस्टाइन) का कुछ पार्ट ब्रेक कर जाता है।जिंंक उसे भी ठीक कर देता है। डायिरया शुरू होने पर बच्चों को ओआरएस के साथजिंंक टैबलेट 14 िदन तक लगातार दी जानी चािहए। दो से छह महीने के बच्चों के िलए मां के दूध के साथजिंंक की आधी गोली (10 िमली ग्राम) और छह महीने से पांच साल तक के बच्चों के िलए एक गोली साफ पानी या िफर मां के दूध के साथ एक गोली (20 िमग्रा) लगातार 14 िदन तक दी जानी चािहए। दस्त शुरू होते हीजिंंक की गोली देनी शुरू कर दें। यिद दस्त ठीक भी हो जाय तोजिंंक की गोली 14 िदन तक जारी रहनी चािहए। इस मौके पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य िमशन के कार्यकारी िनदेशक संजय कुमार, यूिनसेफ के यामीन मजूमदार, माइक्रोन्यूिटिरएंटस के मैथ्यू जोसेफ, आईसीडीएस की िनदेशक डॉ. एन िवजय लक्ष्मी, िशशु रोग िवशेषज्ञ डॉ. संजाता राय चौधरी आिद ने कार्यशाला को संबोिधत किया।