Hindi, asked by Anshika123, 1 year ago

Debate on upboktavad ki sanskriti in favour

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Answered by sujit21
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आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे जीवन पर हावी हो रही है। मनुष्य आधुनिक बनने की होड़ में बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं,पश्चिम की संस्कृति का अनुकरण किया जा रहा है। आज उत्पाद को उपभोग की दृष्टि से नहीं बल्कि महज दिखावे के लिए खरीदा जा रहा है। विज्ञापनों के प्रभाव से हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। इससे हम ही नहीं हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों पर भी प्रभाव पड़ रहा है। भारतीय परंपरा में चॉकलेट, कुकिज़ का चलन नहीं है, ना ही उसमें मंहगें उपहारों का आदान-प्रदान का चलन है। परन्तु उपभोक्तावाद की संस्कृति ने भारतीय संस्कृति मेंप्रवेश करवा दिया है। लोग दिखावे के नाम पर देश-विदेश की चॉकलेट, कुकीज़ व मंहगें उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। सब चाहते है कि वह सभ्य व धनवान के रूप में गिन जाएँ।इसके लिए कितना पैसा बहाया जाए कम है। लोग प्रेम के स्थानपर दिखावे को महत्व दे रहे हैं। भारतीय संस्कृति ने प्रेम और अपनेपन को महत्व दिया है। वह रिश्तों को बनाने में विश्वास रखती है।
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