Deshbhakti par adharit ekanki pathkatha
Answers
Answered by
1
भारतेन्दु युग नवचेतना और जागृति का युग था। ‘भारत दुर्दशा’ एवं ‘भारत-जननी’, राधाकृष्ण गोस्वामी-कृत ‘भारत माता’ और ‘अमरसिंह राठौर’, राधाकृष्ण दास-कृत ‘महारानी पद्मावती’, रामकृष्ण वर्मा-कृत ‘पद्मावती’ ‘दीर नारी’ आदि उल्लेखनीय हैं।
बाद में श्री भगवती चरण वर्मा ने ‘बुझता दीपक’ में राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस के उच्च पदाधिकारियों अथवा नेताओं के खोखलेपन पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया। श्री हरिकृष्ण प्रेमीने अपनी राजनीतिक रचनाओं में राष्ट्र के नवनिर्माण, देशभक्तों भारतीय नेताओं एवं जनता के स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु किये जाने वाले कार्यों, हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष, साम्प्रदायिक एकता की आवश्यकता, दासता की बेड़ियों को तोड़ने के लिए कृत संकल्प देशभक्तों की चारित्रिक महानता आदि को चित्रित किया है। इस दृष्टि से इनकी ‘राष्ट्र मन्दिर’, ‘मातृ-मन्दिर’, ‘मान-मन्दिर’ तथा ‘न्याय मन्दिर आदि उल्लेखनीय रचनाएं हैं। श्री लक्ष्मी नारायण मिश्ररचित ‘देश के शत्रु’ शीर्षक एकांकी में उन स्वार्थलोलुप व्यक्तियों पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया गया है जो अपने क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति हेतु देश के प्रति अपने कर्त्तव्य को भुलाकर देशद्रोही बन बैठे हैं। जगदीश चंद्र माथुररचित ‘भोर का तारा’ शीर्षक एकांकी में देशभक्त कवि के महान बलिदान की कहानी है। डा. सुधीन्द्ररचित ‘खून की होली’, ‘नया वर्ष’, ‘नया संदेश’, ‘राखी’, ‘संग्राम’ आदि तथा चन्द्रगुप्त विद्यालंकाररचित ‘कासमोपोलिटन क्लबों’ आदि रचनाएँ राजनीतिक भावना से ओतप्रोत हैं। इस प्रकार युगीन एकांकीकारों ने राजनीतिक भावना से प्रभावित होकर राष्ट्रीयता का स्वर अपनी रचनाओं में प्रस्फुटित किया है।
बाद में श्री भगवती चरण वर्मा ने ‘बुझता दीपक’ में राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस के उच्च पदाधिकारियों अथवा नेताओं के खोखलेपन पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया। श्री हरिकृष्ण प्रेमीने अपनी राजनीतिक रचनाओं में राष्ट्र के नवनिर्माण, देशभक्तों भारतीय नेताओं एवं जनता के स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु किये जाने वाले कार्यों, हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष, साम्प्रदायिक एकता की आवश्यकता, दासता की बेड़ियों को तोड़ने के लिए कृत संकल्प देशभक्तों की चारित्रिक महानता आदि को चित्रित किया है। इस दृष्टि से इनकी ‘राष्ट्र मन्दिर’, ‘मातृ-मन्दिर’, ‘मान-मन्दिर’ तथा ‘न्याय मन्दिर आदि उल्लेखनीय रचनाएं हैं। श्री लक्ष्मी नारायण मिश्ररचित ‘देश के शत्रु’ शीर्षक एकांकी में उन स्वार्थलोलुप व्यक्तियों पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया गया है जो अपने क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति हेतु देश के प्रति अपने कर्त्तव्य को भुलाकर देशद्रोही बन बैठे हैं। जगदीश चंद्र माथुररचित ‘भोर का तारा’ शीर्षक एकांकी में देशभक्त कवि के महान बलिदान की कहानी है। डा. सुधीन्द्ररचित ‘खून की होली’, ‘नया वर्ष’, ‘नया संदेश’, ‘राखी’, ‘संग्राम’ आदि तथा चन्द्रगुप्त विद्यालंकाररचित ‘कासमोपोलिटन क्लबों’ आदि रचनाएँ राजनीतिक भावना से ओतप्रोत हैं। इस प्रकार युगीन एकांकीकारों ने राजनीतिक भावना से प्रभावित होकर राष्ट्रीयता का स्वर अपनी रचनाओं में प्रस्फुटित किया है।
Similar questions
Computer Science,
8 months ago
Computer Science,
8 months ago
Business Studies,
8 months ago
Hindi,
1 year ago
English,
1 year ago
Biology,
1 year ago
Social Sciences,
1 year ago