Math, asked by raaj973, 1 year ago

do anko ki ek sankhya ke dahae ka ank ekae kk e ank ka duna hai .yadi anko ke sthan badal diye jaye to nayi sankhya pahle se 36 kam hai ho jayegi to sankhya bataiye

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Answered by Anonymous
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Answer:


Step-by-step explanation:

दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र दो अंकों की संख्या का जोड़ सही कर लेते हैं। इसके लिए वे पहले इकाइयों को जोड़ते हैं:

गणित का पीरियड पूरा होने के बाद जब हमने इन बच्चों से अलग-अलग बात की, तो अधिकांश ने कहा कि 16 में 1 का मतलब ‘एक’ होता है। हमने कक्षा 1-3 के सैकड़ों बच्चों से बात की है, और उनके शिक्षकों को इस बात पर कभी यकीन नहीं होता कि उनके छात्रों को लगता है कि 16 में 1 का मतलब एक होता है। यहां हम बच्चों से अपनी बातचीत का ब्यौरा दे रहे हैं ताकि शिक्षक एक-दूसरे के छात्रों का परीक्षण इसी तरह कर सकें। (हमने ‘एक-दूसरे के छात्रों’ की बात इसलिए कही है क्योंकि अक्सर बच्चे उस उत्तर के बारे में सोचते हैं जिसकी उनके शिक्षक अपेक्षा करते हैं जब वही व्यक्ति पूछता है जिसने उन्हें पढ़ाया हो।)

बच्चों से साक्षात्कार

जब बच्चा बातचीत के लिए अंदर आता है, तो साक्षात्कारकर्ता 3 x 5 इंच आकार का एक कार्ड उसे दिखाता है जिस पर ‘16’ लिखा है। जब बच्चा कहता है कि उस कार्ड पर ‘सोलह’ दर्शाया गया है, तब उसे 16 तीलियां गिनने को कहा जाता है। अब साक्षात्कारकर्ता 16 के 6 को पेन के पिछले हिस्से से गोले में घेरकर पूछता है, ‘‘इस भाग (6) का क्या मतलब है? क्या तुम मुझे तीली की मदद से बता सकते हो कि इस भाग (6) का क्या मतलब है?’’ पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों को साक्षात्कार के इस पड़ाव पर कोई दिक्कत नहीं आती।

इसके बाद साक्षात्कारकर्ता 16 के 1 को घेरकर पूछता है, “यह भाग (1) कितना है? क्या तुम तीलियों की मदद से बता सकते हो कि इस भाग (1) का क्या मतलब है?’’ यहां शब्द ‘इस भाग’ के इस्तेमाल पर गौर कीजिए। किसी अन्य शब्द का उपयोग न करें। पहली व दूसरी कक्षा के लगभग सारे छात्र जवाब के रूप में 1 ही तीली दिखाते हैं जबकि उन्हें स्थानीय मान को लेकर घंटों सिखाया गया है।

साक्षात्कारकर्ता आगे बढ़ता है: ‘‘तुमने मुझे इस संख्या (कार्ड पर 16 को घेरते हुए) के लिए ये सारी तीलियां दिखाईं (सोलह तीलियों की ओर इशारा करते हुए) और इस भाग (कार्ड पर 6 को घेरते हुए) के लिए ये तीली दिखाई (तीली में से छ: को घेरते हुए) और इस भाग (कार्ड पर 1 को घेरते हुए) के लिए यह तीली दिखाई (एक तीली को घेरते हुए)। बाकी तीलियां (उन 9 या 10 तीलियों को घेरते हुए जिनका उपयोग कार्ड के दो हिस्सों को दर्शाने के लिए नहीं किया गया है) का क्या हुआ? क्या यह ठीक है या कुछ गड़बड़ है?’’ कुछ बच्चों का जवाब होता है कि कुछ गड़बड़ है मगर अधिकांश बच्चे कहते हैं कि उन्हें अपनी बात में कुछ भी गड़बड़ नहीं लगता।

आमतौर पर देखा गया है कि पहली कक्षा के छात्रों में से यह कहने वाले शून्य प्रतिशत होते हैं कि 1 का मतलब दस है जबकि तीसरी कक्षा के बच्चों में से 33 प्रतिशत और चौथी कक्षा के बच्चों में 50 प्रतिशत ऐसा कहते हैं। अलबत्ता यह बताते हुए कि 1 का मतलब दस होता है, बच्चे उन छ: तीलियों को भी शामिल कर लेते हैं जो उन्होंने 6 का मतलब बताते हुए दर्शाई थीं।

प्राथमिक कक्षाओं के बच्चे स्थानीय मान क्यों नहीं समझते? इस सवाल का जवाब पेचीदा है। ज़्यादा आसान यह होगा कि पहले दूसरी कक्षा के छात्रों को स्थानीय मान व दो अंकों की संख्याओं का जोड़ सिखाने का एक नया तरीका देख लिया जाए, जो ज़्यां पियाजे के सिद्धांत पर आधारित है। इस तरीके का विकास अलाबामा में बर्मिंघम के निकट स्थित हॉल केन्ट स्कूल में किया गया है। इसकी मदद से दूसरी कक्षा के बच्चों में स्थानीय मान की समझ पारंपरिक पाठ्य पुस्तक विधि की अपेक्षा कहीं बेहतर विकसित हुई। 1987 के स्कूल सत्र के अंत में 66 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि 16 में 1 का मतलब 10 है और 74 प्रतिशत ने 54 में 5 का मतलब 50 बताया। ये प्रतिशत उन नतीजों से बेहतर हैं जो पारंपरिक शिक्षण के बाद आमतौर पर चौथी कक्षा के अंत में मिलते हैं। (गौरतलब है कि शिक्षण में इस सवाल को शामिल नहीं किया गया था और बच्चों से 10-10 चीज़ों के समूह बनाने को कभी नहीं कहा गया था। दूसरी कक्षा के इन छात्रों की पूरी गणित शिक्षा किंडरगार्टन और पहली कक्षा में खेलों तथा दूसरी कक्षा में खेलों तथा चर्चाओं पर आधारित थी। इसमें पाठ्यपुस्तकों या कार्यपुस्तिकाओं का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया गया था।)

स्थानीय मान और दो अंकों का जोड़ सिखाने का एक तरीका

पियाजे के सिद्धांत पर आधारित सिखाने के हमारे तरीके का मूल यह है कि बच्चों की कुदरती सोच को बढ़ावा दिया जाए और उन्हें दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाए। मगर पहले दो बातें बताना मुनासिब होगा।

पहली बात यह है कि हमारे दूसरी कक्षा के छात्रों को पहली कक्षा में स्थानीय मान और दो अंकों का जोड़ कदापि नहीं सिखाया गया था। शोध से पता चलता है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि पहली कक्षा के बच्चे स्थानीय मान समझ पाएंगे। पहली कक्षा के छात्र ‘16’ को सोलह इकाइयों के रूप में देखते हैं (1 दहाई और 6 इकाई के रूप में नहीं)।

दूसरी बात यह है कि हमने जोड़ और किसी अन्य संक्रिया से स्वतंत्र स्थानीय मान सिखाने की कोई कोशिश नहीं की थी। हमने तीलियों जैसी चीज़ों की 10-10 की गठरियां बनाने की कोशिश कभी नहीं की और न ही बच्चों से कहा कि वे चित्रों पर घेरे खींचकर बताएं कि उनमें कितनी इकाइयां और कितनी दहाइयां दर्शाई गई हैं। इसका कारण थोड़ी देर में स्पष्ट होगा।

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