dusshera anuched lekhen in hindi
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दशहरा पर अनुच्छेद |
प्रस्तावना:
भारत के चार सबसे बड़े त्यौहारों में से एक त्यौहार दशहरा है । हिन्दू यह त्यौहार लका के राक्षस राजा रावण पर श्रीरामचन्द्र की विजय के उपलक्ष में मनाते हैं । यह आषाढ़ मास के द्वितीय पक्ष की दसवीं तिथि को पड़ता है । यह त्यौहार दस दिन तक मनाया जाता है ।
क्यों मनाया जाता है:
भिन्न-भिन्न लोग दशहरा शब्द के अलग-अलग अर्थ लगाते हैं । कुछ लोगों का मत है कि चूंकि हम यह त्यौहार इस दिन तक मनाते हैं इसलिए इसे दशहरा कहते हैं । कुछ अन्य का मत है कि यह त्यौहार मनाने से लोगों के दरन प्रकार के पाप मिट जाते हैं ।
अन्य बहुत-से लोगो का कहना है कि इसका अर्थ है लका के दस सिर वाले राक्षस राजा रावण पर श्रीराम की विजय । बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है । साधारणतया इसे श्रीरामचन्द्र जी की लका पर विजय की याद में मनाते हैं ।
कैसे मनाया जाता है:
सारे देश में यह त्यौहार बडे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है । दस दिन तक रामायण की कथा एक ड्रामे के रूप में खेली जाती है, जिसे रामलीला कहते हैं । इसमें श्रीराम के समरस जीवन की झाकियां प्रस्तुत की जाती हैं । सभी बड़े-छोटे शहरों और कस्बों में बडे और खुले मैदान में यह लीला खेली जाती है ।
आमतौर पर यह मैदान रामलीला मैदान कहलाता है । बडे शहरों में कई रामलीलाये होती हैं । किसी मंदिर से हर दिन एक जुलूस निकाला जाता है । यह शहर के सभी प्रसिद्ध मार्गों से होकर रामलीला मैदान पर समाप्त होता है ।
रामलीला में रामायण के दृश्य क्तेग बडी श्रद्धा और चाव से देखते है । इनमें राम के जन्म, विवाह और वन जाने के दृश्य देखे जाते हैं । दशहरे के दिन राम-रावण के बीच घमासान युद्ध दिखाया जाता है और अन्त में श्रीराम रावण का वध कर देते हैं ।
मैदान में रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के बड़े-बड़े पुतले बनाये जाते हैं । इनमें तरह-तरह की आतिशबाजी लगी होती है । रामलीला में रावण त्हे मरते ही इन पुतला में आग लगा दी जाती है । ज्यों-ज्यों आग की लराटें ऊंची उठती हैं, पुतलों के आतिशबाजी के गौले छूटने लगते है ।
दर्शक ‘श्रीरामचन्द्र की’ जय के नारों से आकाश गुंजा देते हैं । पुतलों को जलाने के बाद अनेक स्थानों पर रंगीन आतिशबग्जी छोड़ी जाती है । इसके बाद राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान को एक रथ में बैठाकर पुन: जुलूस नगर की मुख्य सडकों से निकाला जाता है और पुन: मन्दिर में पहुचकर समाप्त हो जाता है ।
धार्मिक अनुष्ठान:
आषाढ़ मास के द्वितीय पक्ष के दसवें दिन दशहरा होता है । यही त्यौहार का मुख्य दिन है । इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है । इस दिन लोग बड़े सवेरे उठ जाते हैं । वे अपने घरों को धो-पोछकर रनान करते है । दोपहर में त्यौहार की मुख्य पूजा का अनुष्ठान होता है । राजपूत अपने हथियारों की पूजा करते हैं । अन्य लोग श्रीरामचन्द्र जी की पूजा करते हैं ।
बच्चे नए-नए रंग-बिरगे कपड़े पहनते है, लडकियाँ अपने-अपने भाइयों को जौ की बालियाँ भेंट करती हैं, जो वे अपने कान में, टोपी में या पगड़ी में खोंस लेते हैं । कहीं-कहीं बहनें अपने भाइयों की मंगलकामना करके उन्हें रोली का तिलक लगाती है । भाई अपनी बहनों को यथाशक्ति धन देते हैं । घर-घर में खाने की अच्छी-अच्छी चीजे बनाई जाती हैं ।
लाभ:
दशहरा हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है । इससे भारत के प्राचीन गौरव का पता लगता है । इससे हमें सबक भी मिलता है । यह त्यौहार इस बात को सिद्ध करता है कि बुराई पर सदैव ही अच्छाई की विजय होती है । रामलीला में दिखाए गए दृश्यों से हमें श्रीराम के गुणों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है ।
इस त्यौहार में सभी छोटे-बड़े समान रूप से हिस्सा लेते हैं इसलिए हिन्दुओं के विभिन्न वर्गों के बीच एकता कायम होती है । रामायण की चौपाइयो के पाठ से लोगों के मन का धर्म के प्रति लगाव होता है ।
उपसंहार:
प्राचीन काल में दशहरे को एक राष्ट्रीय त्यौहार माना जाता था । आज भी यह किसी-न-किसी रूप में समूचे भारत में मनाया जाता है । बंगालियों के लिए यह वर्ष का सबसे बड़ा त्यौहार होता है । वे बड़े विशाल पैमाने पर दुर्गा-पूजा मनाते है । दशहरे के दिनों में स्कूलों में कई दिन छुट्टी रहती है । इस तरह सभी बड़े-बूढे, बच्चे, पुराष और स्त्रियाँ इस त्यौहार को हर्षोल्लास से मनाते हैं ।