Easy examples for all Ras in Hindi...... pls answer me fast.
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श्रृंगार रस :
"बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
सोह करे, बोहनी हसे, दें कहे नट जाये"।।
हास्य रस :
"जब धूमधाम से जाती है बारात किसी की सज धज कर।
मन करता धक्का दे दूल्हे को, जा वेठू घोड़े पर ।
सपने में ही मुझको अपनी शादी होते दिखती है।
वरमाला ले दुल्हन बढ़ती, बस नींद तभी खुल जाती है।"
करुण रस :
हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक
रौद्र रस :
"श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।।"
वीर रस :
"वह खून कहो किस मतलब का, जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का, आ सके देश के काम नहीं।।"
भयानक रस :
"एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।
विकल वटोहि बीच ही परयो मूर्छा खाय।।"
वीभत्स रस :
"सिर पर बैठ्यो काग, आंख दोउ खात निकारत।
खीचत जीभही स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत।।"
अद्भुत रस :
"अखिल भुबन चर-अचर सब हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद गद वचन, विकसित द्रग पुलकातु।।"
शान्त रस :
"चलती चाकी देखकर, दिया कबीरा रोय।
दुइ पाटन के बीच में, साबुत वचा न कोय।।"
वात्सल्य रस :
"धूरी भरे अति सोभित स्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।।"
Hope this helps
"बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
सोह करे, बोहनी हसे, दें कहे नट जाये"।।
हास्य रस :
"जब धूमधाम से जाती है बारात किसी की सज धज कर।
मन करता धक्का दे दूल्हे को, जा वेठू घोड़े पर ।
सपने में ही मुझको अपनी शादी होते दिखती है।
वरमाला ले दुल्हन बढ़ती, बस नींद तभी खुल जाती है।"
करुण रस :
हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक
रौद्र रस :
"श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।।"
वीर रस :
"वह खून कहो किस मतलब का, जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का, आ सके देश के काम नहीं।।"
भयानक रस :
"एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।
विकल वटोहि बीच ही परयो मूर्छा खाय।।"
वीभत्स रस :
"सिर पर बैठ्यो काग, आंख दोउ खात निकारत।
खीचत जीभही स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत।।"
अद्भुत रस :
"अखिल भुबन चर-अचर सब हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद गद वचन, विकसित द्रग पुलकातु।।"
शान्त रस :
"चलती चाकी देखकर, दिया कबीरा रोय।
दुइ पाटन के बीच में, साबुत वचा न कोय।।"
वात्सल्य रस :
"धूरी भरे अति सोभित स्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।।"
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nandanadileesh84:
I don’t know how to follow dear
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