एक अर्द्धचालक में होल से आप क्या समझते हैं ?
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जब हम प्योर सेमीकंडक्टर में ट्राईवलेंट इम्पुरिटी मिलते है तो सेमीकंडक्टर के बाहरी ऑर्बिट के चार एलेक्ट्रोंस इम्पुरिटी के तीन इलेक्ट्रोंस के साथ बोंड बना लेता है। जैसा कि हम जानते हैं कि कोई भी परमाणु अपने बहरी ऑर्बिट में आठ इलेक्ट्रोन पूरा करना चाहता है इसलिए ट्राईवलेंट इम्पुरिटी मिलाने के बाद उसमे एक इलेक्ट्रोन ग्रहण करने कि क्षमता होती है मतलब वहां एक होल उपस्थित हो जाता है (इलेक्ट्रोन कि अनुपस्थिति को होल कि उपस्थिति समझा जाता है). चूँकि होल को हम पोसिटिव चार्ज्ड पार्टिकल मानते हैं इसलिए इस तरह के सेमीकंडक्टर को P टाइप सेमीकंडक्टर कहते है। इसका मतलब है कि P टाइप सेमीकंडक्टर में होल्स कि मात्रा अधिक और इलेक्ट्रोंस कि मात्रा कम रहती है।
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इसी तरह E1 से E2 में इलेक्ट्रॉन के जाने पर वैलेंस बैंड में खाली हुई जगह को 'होल' कहा जा रहा है; ऐसा ऊर्जा स्तर जो इलेक्ट्रॉन के चले जाने से खाली हुआ है।