Sociology, asked by shubhamg15731, 8 months ago

एक भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था के विशिष्ट लक्षण क्या हैं? चर्चा करें।

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Answered by adhvaith2007
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Answer: वस्तुएं जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं। भले ही वे आवश्यक हों जैसे भोजन, कपड़े, फर्नीचर, बिजली का सामान या दवाइया अथवा आराम और मनोरंजन की वस्तुएँ आदि। इनमें से कई भूमंडलीय आकार के नेटवर्क से हम तक पहुचती हैं। कच्चा माल किसी एक देश से निकाला गया हो सकता है। इस कच्चे माल पर प्रक्रिया करने का ज्ञान किसी दूसरे देश के पास हो सकता है और इस पर वास्तविक प्रक्रिया किसी अन्य स्थान पर हो सकती है, और हो सकता है कि उत्पादन के लिए पैसा एक बिल्कुल अलग देश से ध्यान दीजिए कि विश्व के विभिन्न भागों में बसे लोग किस प्रकार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। उनकी परस्पर निर्भरता केवल वस्तुओं के उत्पादन और वितरण तक ही सीमित नहीं है। वे एक दूसरे से शिक्षा, कला और साहित्य के क्षेत्र में भी प्रभावित होते हैं। देशों और लोगों के बीच व्यापार, निवेश, यात्रा, लोक संस्कॄति और अन्य प्रकार के नियमों से अंतर्क्रिया भूमंडलीकरण की दिशा में एक कदम है।

भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में देश एक दूसरे पर परस्पर निर्भर हो जाते हैं और लोगों के बीच की दूरिया घट जाती हैं। एक देश अपने विकास के लिए दूसरे देशों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए सूती कपड़े के उद्योग में महत्त्वपूर्ण नामों में से एक, जापान, भारत या अन्य देशों में पैदा हुई कपास पर निर्भर करता है। काजू के अंतर्राष्टरीय बाजार में प्रमुख, भारत, अफ़्रीकी देशों में पैदा हुए कच्चे काजू पर निर्भर करता है। हम सब जानते हैं कि अमरीका का सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग किस सीमा तक भारत और अन्य विकासशील देशों के इंजीनियरों पर निर्भर करता है। भूमंडलीकरण में केवल वस्तुओं और पूजी का ही संचलन नहीं होता अपितु लोगों का भी संचलन होता है। भूमंडलीकरण के प्रारंभिक रूप भूमंडलीकरण कोई नई चीज नहीं है। लगभग 200 ई- पूर्व से 1000 ई- तक पारस्परिक क्रिया और लंबी दूरी तक व्यापार सिल्क रूट के माध्यम से हुआ। सिल्क रूट मध्य और दक्षिण-पश्चिम एशिया में लगभग 6000 कि-मी तक फैला हुआ था और चीन को भारत, पश्चिमी एशिया और भूमईोय क्षेत्र से जोड़ता था। सिल्क रूट के साथ वस्तुओं, लोगों और विचारों ने चीन, भारत और यूरोप के बीच हजारों कि-मी की यात्रा की। 1000 ई- से 1500 ई- तक एशिया में लंबी-लंबी यात्राओं द्वारा लोगों में वैचारिक आदान-प्रदान होता रहा। इसी दौरान हिंद महासागर में समुद्रीय व्यवस्था को महत्त्व मिला।

दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य एशिया के बीच समुद्री मार्ग का विस्तार हुआ। केवल वस्तुओं और लोगों ने ही नहीं अपितु प्रौद्योगिकी ने भी विश्व के एक छोर से दूसरे छोर तक की यात्रा की। इस अवधि में भारत न केवल शिक्षा एवं अध्यात्म का केंद्र था अपितु यहाँ धन-दौलत का भी अपार भंडार था। इसे ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था जिससे आकर्षित होकर विश्व के अन्य भागों से व्यापारी और यात्री यहाँ आए। चीन में मंगोल शासन के दौरान कई चीनी आविष्कार जैसे बारूद, छपाई, धमन भट्‌टी, रेशम की मशीनें, कागज की मुद्रा और ताश यूरोप में पहुचे। वास्तव में इन्हीं व्यापारिक संबंधों ने आधुनिक भूमंडलीकरण का बीजारोपण किया।

आज के भूमंडलीकरण की एक विशेषता ‘प्रतिभा पलायन’ अथवा प्रतिभा संपन्न लोगों का पूर्व से पश्चिम की ओर भागना है। चौदहवीं सदी का विश्व इसी प्रकार की घटना का साक्षी है परंतु तब बहाव विपरीत अर्थात पश्चिम से पूर्व को था। भूमंडलीकरण के प्रारंभिक रूपों में भारत का कपड़ा, इंडोनेशिया और पूर्वी अफ़्रीका के मसाले, मलाया का टिन और सोना, जावा का बाटिक और गलीचे, जिंबाबवे का सोना तथा चीन के रेशम, पोर्सलीन और चाय ने यूरोप में प्रवेश पाया। यूरोप के लोगों की अपने स्रोतों को ढूढ़ने की उत्सुकता ने यूरोप में अन्वेषण के युग का प्रारंभ किया। अत: पश्चिम के तत्त्वावधान में आधुनिक भूमंडलीकरण मुख्यत: अतीत में भारतीयों, अरबों और चीनियों द्वारा स्थापित ढाचे के कारण ही संभव हुआ है। आधुनिक भूमंडलीकरण की ओर कदम प्रौद्योगिक परिवर्तनों ने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतर्राष्टरीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्टर, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन की स्थापना इस प्रक्रिया में सहयोग देने वाला एक अन्य कारक है। इससे बढ़कर निजी कंपनियों को अपने देश से बाहर बाजार मिलने और उपभोक्तावाद ने विश्व के विभिन्न भागों को भूमंडलीकरण के विस्तार की ओर प्रेरित किया।

भूमंडलीकरण दो क्षेत्रों पर बल देता है — उदारीकरण और निजीकरण। उदारीकरण का अर्थ है औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की विभिन्न गतिविधयों से संबंधत नियमों में ढील देना और विदेशी कंपनियों को घरेलू क्षेत्र में व्यापारिक और उत्पादन इकाइया लगाने हेतु प्रोत्साहित करना। निजीकरण के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियों को उन वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन की अनुमति प्रदान की जाती है, जिनकी पहले अनुमति नहीं थी। इसमें सरकारी क्षेत्र की कंपनियों की संपत्ति को निजी क्षेत्र के हाथों बेचना भी सम्मिलित है। भूमंडलीकरण के आधुनिक रूपों का प्रारंभ दूसरे विश्व युद्ध से हुआ है परंतु इसकी ओर अधिक ध्यान गत 20 वषों में गया है। आधुनिक भूमंडलीकरण मुख्यत: विकसित देशों के इर्द-गिर्द केंद्रित है। ये देश विश्व के प्राकॄतिक संसाधनों का मुख्य भाग खर्च करते हैं। इन देशों के लोग विश्व जनसंख्या का 20 प्रतिशत हैं परंतु वे पृथ्वी के प्राकॄतिक संसाधनों के 80 प्रतिशत से अधिक भाग का उपभोग करते हैं। उनका नवीनतम प्रौद्योगिकी पर नियंत्रण है। विकासशील देश प्रौद्योगिकी, पूजी, कौशल और हथियारों के लिए इन देशों पर निर्भर हैं।

Answered by dcharan1150
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एक भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था के विशिष्ट लक्षण क्या हैं? चर्चा करें।

Explanation:

उत्तर - भूमंडलीकरण अर्थव्यवस्था के यह विशिष्ट लक्षण होते हैं :-

• पृथ्वी के किसी भी देश में पूंजी के निवेश को बड़े ही आसानी से किया जा सकता हैं।

• किसी भी दो देशों के अंदर तकनीक प्रणालियों का बड़े ही आसानी के साथ आयात या निर्यात किया जाना।

• विश्व बाजार का बनना ।

• उद्योगों के लिए मजदूरों की सही से आयात व निर्यात ।

• विदेशी मुद्राओं का आयात आसानी के साथ होना (विदेशी कारोबार के चलते)।

• वस्तु के आयात और निर्यात करों में घोटती ।

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