एक भयकर तूफान पर अनुच्छेद | Paragraph on A Dreadful Storm in Hindi
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“एक भयंकर तूफान”
आज मनुष्य ने इतना विकास कर लिया है कि हम दूसरे ग्रहों तक पहुंच चुके हैं । लेकिन आज भी हम प्रकृति के शक्ति का सामना करने में असमर्थ हैं। प्रकृति की शक्ति के आगे हम तिनका मात्र हैं।
मैं गार्डन में घूम रहा था शाम के 6:00 बजे का समय होगा तभी अचानक जोर जोर से तेज हवाएं चलने लगी ।प्रारंभ में तो मुझे लगा कि एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन हवाओं की रफ्तार बढ़ती ही जा रही थी, तभी अचानक मुझे प्रतीत हुआ कि तूफान आने वाला है । मैं शीघ्र ही एक सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया और जहां से सारा नजारा देखने लगा।
हवाओं का शोर इतना ज्यादा था कि वैसी आवाज मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं सुनी थी I और मैं यह आवाज सुनकर बड़ा हैरान था। पेड़ों की टहनियां टूटने लगी फिर बड़े बड़े पेड़ जड़ से ही उखड़ कर गिर गए।
बड़ी-बड़ी गगनचुंबी इमारतें पल भर में ध्वस्त हो गई I चारों तरफ तबाही तबाही का मंजर था I गाड़ियां तो ऐसे पलटने लगी जैसे पेड़ के गिरे पत्ते उड़ रहे हो। लोग सहायता के लिए चला रहे थे I लेकिन कोई भी उस भयंकर तूफान में घर के बाहर जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। घरों की छतें आसमान में उड़ने लगी थी । बिजली के खंभे उखड़ कर जमीन पर गिर पड़े थे ।और उन से निकलने वाली चिंगारियां से आग लग चुकी थी, चारों तरफ धुआं ही धुआं था कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
बहुत ही भयंकर त्रासदी वाला यह भयंकर तूफान था जिसमें से कई लोगों की मृत्यु हो गई I और ना जाने कितने ही लोग घायल हो चुके थे। बड़ी-बड़ी इमारतें गिर चुकी थी। जब तूफान शांत हुआ तो तबाही का आलम आंखों के सामने था। तभी मेरे मन में सोचा कि हम कितना भी विकास क्यों ना कर ली हम अपने आप को कितना भी मजबूत क्यों न कर लें, लेकिन आज भी हम प्रकृति के आगे तुच्छ हैं।