एक कंपनी का पार्षद सीमा नियम तैयार कीजिए
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भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा (28) के अनुसार- ‘‘पार्षद सीमानियम से आशय कम्पनी के उस पार्षद सीमानियम से होता है जो प्रारंभ में बनाया गया था या जिसे पूर्व के नियमों या इस अधिनियम के अनुसार समय-समय पर परिवर्तित किया गया हो। ‘‘
लार्ड क्रेन्स के शब्दों में- ‘‘पार्षद सीमानियम किसी कम्पनी का चार्टर होता है और यह अधिनियम के अंतर्गत स्थापित कम्पनी के अधिकारों की सीमाओं को परिभाषित करता है।’’
न्यायाधीश चाल्र्सवर्थ के शब्दो में- ‘‘पार्षद सीमानियम कम्पनी का चार्टर है जो उसके अधिकारों की सीमाओं को परिभाषित करता है ।
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