एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलहि फलहि अघाय।। iske bhavarth likhe
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रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।। एक को साधने से सब सध जाते हैं और सब को साधने पर कुछ भी नहीं सधता। रहीम जी कहते हैं कि मूल के सींचने से पेड़ फलता फूलता है। इस दोहे का आध्यात्मिक अर्थ तो यह है कि एक परमत्मा को साधने से विश्व अपने आप साध जाता है क्योंकि परमात्मा सबका मूल है।
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