elephant and rabbit story in hindi
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कुछ समय के लिए बारिश की कमी के कारण तालाब सूखना शुरू हो गया था।
कुछ हाथियों ने हाथियों के राजा से मुलाकात की और कहा, “महामहिम, हमारे पास कोई और पानी नहीं है। हमारे छोटे बच्चे मौत के कगार पर हैं। हमें कोई और जगह ढूँढनी चाहिए जहाँ पर भरपूर पानी हो।”
थोड़ी देर सोचने के बाद, हाथी राजा ने कहा, “मुझे याद है कि एक जगह बहुत बड़ी झील है, वह जगह अभी भी पानी से भरी हुयी है। चलो हम वहां चलते हैं”।
अगली सुबह उन्होंने चलना शुरू कर दिया। पांच दिन और पांच रात यात्रा करने के बाद, हाथी अंततः उस जगह पहुंच गये। वास्तव में एक बड़ी झील थी, जो पानी से भरी थी।
झील के चारों तरफ नरम पृथ्वी में असंख्य छेद थे, जिसमें खरगोश का एक समूह जीवित था।
जब हाथीयों ने झील में इतने पानी को देखा, तो वे खुश हो गये , और दुनिया की परवाह किए बिना पानी में कूदना शुरू कर दिया था।
अचानक इस हंगामा के कारण कई छिद्र नष्ट हो गये, कई खरगोश हाथियों के नीचे रौंद गये थे जबकि कई मर गए, कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। लेकिन खरगोश इस दुःख को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकते थे, सिर्फ जो भाग गए, वे खुद को बचा सके।
जब शाम को हाथी चले गए तो, जो खरगोश भाग गए थे, वह वापस लौट आए। वे दुःख में इकठ्ठे हुए और एकदूसरे से मिलकर बात करने लगे , “हे प्रिय! हर जगह पानी की कमी होने के कारण, हाथी यहाँ हर दिन आयेंगे. हमें कुछ सोचना चाहिए, नहीं तो कल हम में से और अधिक कुचल जायेंगे। हम शक्तिशाली हाथियों के खिलाफ क्या कर सकते हैं? जीवित रहने के लिए हमें इस जगह को छोड़ देना चाहिए। ”
उनमें से एक खरगोश असहमत था, उसने कहा- “दोस्तों! यह हमारा पुश्तैनी घर है, यदि हम हाथियों को डरा सकते हैं, तो
वे वापस नहीं आएंगे। मैं उन्हें डराने का एक तरीका सोच सकता हूं। हम देखने मे छोटे खरगोश हो ज़रूर हैं, लेकिन हम सभी सक्षम हैं. मेरी एक योजना है। ”
जैसा कि योजना बनाई गई, एक खरगोश एक पहाड़ी पर बैठ गया जो हाथियों के रास्ते पर थी । थोड़ी देर बाद हाथियों का राजा अपने समूचे झुंड के साथ आया। खरगोश चिल्लाते हुए बोला , “तुम दुष्ट हाथी! मैं तुम्हें झील में प्रवेश करने से रोकता हूं। यह झील चाँद-देवता का है।
हाथी का राजा अचंभित था लेकिन उसको किसी भी भगवान पर क्रोध करने की हिम्मत नहीं थी। उसने पूछा कि उसके लिए क्या संदेश था।
खरगोश ने कहा, “मैं चंद्रमा देवता का दूत हूं। उसने मुझे आपको सूचित करने के लिए भेजा है कि वह आपको अपने झील में प्रवेश करने से रोक रहे हैं। कल, आपकी यात्रा के कारण कई खरगोशों को कुचल दिया गये, भगवान, आपके साथ बहुत गुस्सा है। यदि आप जीवित रहना चाहते हैं, तो आपको झील में फिर से प्रवेश नहीं करना चाहिए। ”
हाथी राजा कुछ समय के लिए चुप रहा, और फिर कहा, “यदि ऐसा है तो मुझे बताओ कि तुम्हारा चंद्रमा कहाँ है, और मैं अपने झुंड के साथ दूर चला जाऊंगा, और हम उसकी माफी मांगेंगे।”
यहाँ पहले से ही शाम हो चुकी थी , इसलिए खरगोश ने कहा, “चंद्रमा भगवान कल ही मरे हुए खरगोश के परिवारों को सांत्वना देने के लिए झील में उतर आए हैं। यदि आप उससे मिलना चाहते हैं, तो मेरे साथ आओ!”
चतुर खरगोश हाथी को राजा को झील के किनारे पर ले गया, जहां से पानी में चंद्रमा का प्रतिबिंब देखा जा सकता था। उन्होंने कहा, “आज वह बहुत परेशान है, कृपया आप चुपचाप सर झुकाएं और छोड़ दें। आपको उनका ध्यान भंग नहीं करना चाहिए अन्यथा, वह क्रोधित हो जाएगें ।”
हाथी का राजा पानी में चाँद को देखकर आश्चर्यचकित था। उसने खरगोश पर विश्वास किया , और हाथियों ने उस जगह को छोड़ दिया। उसके बाद हाथियों द्वारा परेशान किए बिना खरगोश खुशी से वहां रहने लगे।
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✨ हाथी ओर खरगोस✨
एक बार की बात है एक जंगल में बहुत सारे हाथी रहते था, उन सभी में आपस में बड़ी एकता थी। उनका एक मुखिया हाथी था जिसका नाम चतुर्दंत था। सब उसी की देखरेख में खुशहाली से रहते थे। वह सबकी समस्याएं सुनता था और उन्हें अपने विवेक से हल करता था, चतुर्दंत सभी का ख्याल रखता था। एक बार जंगल में भयंकर सूखा पड़ा। सारे नदी तालाब सूखने लगे। पेड-पौधे मुरझा गए तथा धरती पर सूखे से दरारें पड़ गई, चारों ओर हड़कंप मच गया। हर जानवर बूंद-बूंद के लिए तरसने लगा। हाथियों ने अपने सरदार से कहा “सरदार, कोई उपाय सोचिए जिससे हमें पानी मिल सके अन्यथा हम सभी मर जाएंगे। चतुर्दंत पहले से ही इस समस्या के प्रति चिंतित था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए जिससे सबको पानी मिल जाए। उसे बचपन की एक बात याद आई और चतुर्दंत ने कहा “मेरे दादाजी कहा करते थे, यहां से दक्षिण दिशा में एक कुँआ है, जो कभी नहीं सूखता। हमें वहां चलना चाहिए।” सभी जानवर खुश हो गए। सभी चतुर्दंत द्वारा बताई गई दिशा की ओर चल पड़े। काफी चलने के बाद अंततः पांच दिनों के बाद वे उस कुँए तक पहुंच गए। वहां जाकर देखा कि कुँआ पानी से भरा था। सभी जानवरों ने खूब पानी पिया। वहीं पास ही में खरगोशों की भी एक घनी आबादी थी। उनकी शामत आ गई। कई सारे खरगोश हाथियों के पैरों-तले कुचले गए और मारे गए। कई खरगोंशों के बिल रौंद दिए गए। खरगोश इस घटना से बहुत क्रोधित हुए। बचे हुए खरगोशों ने एक आपातकालीन सभा बुलाई। उन सभी खरोगोशों के मुखिया ने कहा कि हमें अक्ल से काम लेना होगा। हाथी को यहां से भगाने के लिए युक्ति का सहारा लेना होगा। उन्होंने एक युक्ति बनाई जिसके तहत एक खरगोश हाथी के मुखिया चतुर्दंत के पास पहुंचा और दूर से ही एक चट्टान पर चढकर बोला हे गजराज चन्द्रमा हमारे स्वामी हैं और मैं तुम सब हाथियों के लिए एक संदेश लेकर आया हूं। चतुर्दंत ने पूछा ” भई,क्या संदेश लाए हो तुम ?” खरगोश बोला “तुमने खरगोशों को बहुत हानि पहुंचाई हैं। कई खरगोंशो को तुम सबने मार डाला इसलिए चन्द्रदेव तुमसे बहुत गुस्सा हैं। इससे पहले कि वह तुम्हें कोई दंड दे, तुम सब यहां से तत्काल ही चले जाओ।” चतुर्दंत को विश्वास न हुआ। उसने कहा “चंद्रदेव कहां हैं? मैं खुद उनसे मिलूंगा। खरगोश बोला ठीक है चंद्रदेव मरे हुए खरगोशों को श्रद्धांजलि देने खुद ही यहां आएंगे, उनसे तुम सब कल मिल लेना और स्वयं देख लेना कि वे कितने ज्यादा क्रोधित हैं।” चालाक खरगोश चतुर्दंत को दूसरी रात कुँए में ले आया। उस रात पूर्णमासी थी। कुएं में पूरा चंद्रमा दिख रहा था। चतुर्दंत घबरा गया चालाक खरगोश, हाथी की घबराहट को पहचान गया और विश्वास के साथ बोला “गजनायक, जरा नजदीक से चंद्रदेव को देखो तो तुम्हें पता लगेगा कि तुम सब ने कितने खरगोशों को मार डाला है। अब तुम सबको दंड मिलेगा। चतुर्दंत डरते-डरते कुँए के पास आया और देखने लगा। हाथी ने एक फूल चंद्रमा के ऊपर पानी पर फेंका और चंद्रमा का चित्र विक्षिप्त होने लगा। यह देखते ही चतुर्दंत के होश उड गए। वह काफी डर गया। खरगोश ने इस बात का फायदा उठाया और चीखा “देखा, आपको देखते ही चंद्रदेव कितना गुस्सा हो गए! वह क्रोध गुस्सा होकर फट रहे हैं। अपना भला चाहते हैं तो सभी यहां से शीघ्रातिशीघ्र वापस लौट जाओ।” चतुर्दंत अपने साथियों समेत वहां से फौरन चला गया। खरगोशों में खुशी की लहर दौड गई। हाथियों को भी दूर स्थित एक जगह सुनसान जगह पर एक नदी मिली जहां उन्होंने अपना नया बसेरा बनाया।
सीखः चतुराई से शारीरिक रुप से बलशाली शत्रु को भी मात दी जा सकती हैं।
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