Essay in 500 words -आरक्षण दलितों का नहीं , वंचितों का अधिकार हैं |
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आरक्षण दलितों का नहीं वंचितों का अधिकार है :
"देश में आई आज़ादी" खुशियाँ आई या चली गयी I
दलितों को ,मिले आरक्षण वंचितों की संख्या कहाँ गयी II
दलित वर्ग कुछ और ही थे जिसे बापू ने कहा था हरिजन I
वंचित वर्ग कुछ और ही हैं ,जिन्हें न मिलता 2 जून भोजन II
हमने शुरुआत से पढ़ा है कि दलितों को आरक्षण मिलना चाहिए या आजतक जो सुविधाएं इनलोगों को दी गयी हैं उसका 10 प्रतिशत भीसर्व साधरण वर्ग को नहीं दिया गया है I सर्वसाधारण वर्ग पहले से मेधावी रहे हैं I और इन्हें मेधावी बनाने की कोशिश की जा रही है I जो विरासत में तेजी लेकर आये हैं उन्हें आरक्षण की आवश्यकता तो नहीं है लेकिन जगह तो उन्हें भी चाहिए I एक बार इंदिरा जी ने कहा था कि गरीब वो नहीं है जिन्हें भोजन वस्त्र आवास के बारे में सोचना पड़ता हो बल्कि वे है जिन्हें हाथ पैर दुरुस्त रहते हुए भी भोजन का कष्ट है I समाज के कुछ वंचित वर्ग हैं जिन्हें लोग शादी विवाह पूजा पाठ इत्यादि में नहीं बुलाते इन्ही वंचित वर्गों को आरक्षण का अधिकार है I वंचित का मतलब ये नहीं है कि उनकी जाति निम्न कोटि की है I बल्कि वे सारे आते हैं जिन्हें समाज में स्थान नहीं है Iऐसी स्थति रही तो कुछ दिन में उच्च वर्क के लोग भी वंचित की श्रेणी में आ जायेंगे I आज की स्थिति ऐसी हो गयी है कि जितने भी उच्च् वर्गीय हैं वो सरकारी नौकरियों के लिएप्रयास ही नहीं करते क्योंकि वो जानते हैं कि हमलोगों को वो नौकरी नहीं होगी ये आरक्षित है ईसलिए सारे सर्व साधारण लोग मल्टीनेशनल कंपनी में चले गए हैं फिल्मों में चले गए हैं क्योंकि जहाँ दिमाग है वहां आरक्षण क्या करेगा I लेकिन वंचितों को इसका अधिकार मिलना चाहिए I