Hindi, asked by RasleenKaur, 11 months ago

essay in hindi
Aaj Ke Yug Mein Hindi Ki Zaroorat ​

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Answered by yogesh523
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Explanation:

समय के अनुसार भाषा का जो रूप परिवर्तन हमारे सामने है, उसका एक साझा और सरल रूप हमें पाठ्यक्रमों में शामिल करने की जरूरत है। शिक्षा संस्थानों में भी हिन्दी से जुड़ी जो बातें इस आधुनिक दौर में एक छात्र के लिए जानना जरूरी हैं, उन्हें सही रूप में शामिल करना होगा और इस बात को ध्यान में रखना होगा कि शिक्षा संस्थानों के लिए भाषा के जो पाठ्यक्रम निश्चित किए जा रहे हैं या पढ़ाए जा रहे हैं उनकी उपयोगिता अवश्य छात्रों को स्पष्ट करवाई जाए।

इस ग्लोबल समाज और डिजिटल संसार में हिन्दी भाषा के कैसे पाठ्यक्रम को बनाया जाए या कैसे छांटा जाए और आधुनिक बनाया जाए, इस पर जोर देने की आवश्यकता है। जब तक भाषा को रोजगार या उपयोगिता के अनुसार नहीं बदला जाएगा, वो एक अतिरिक्त विषय की तरह धीरे-धीरे अपनी गुणवत्ता खो देगी।

आजकल विज्ञापनों की भाषा देखिए, आलोचना की भाषा देखिए, बातचीत का सरल रूप देखिए, सभी हिन्दी के एक बदले हुए संसार के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। दिल्ली जैसे शहर में हर वर्ष कितने ही कार्यक्रम सामाजिक विषयों या साहित्यिक विषयों पर हो रहे हैं। उनमें भाग लेने वाले सभी विद्वान समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और मंचों पर जिस हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं, वही हिन्दी का सबसे उत्कृष्ट रूप है।

भाषा में दुरूहता या अर्थ की पहुंच आम श्रोताओं तक कितनी सरलता तक होती है, यह विचारणीय है। आपकी विद्वता यदि भाषा के कठिन प्रयोगों में लिपटी है तो संचार प्रभावित होता है और आपको नकार दिए जाने की प्रतिशतता बढ़ जाती है। आज हिन्दी भाषा के प्रयोग को लेकर उसका जो बाजार की दृष्टि से परिवर्तन हुआ है, उसे आप नकार नहीं सकते। लोकप्रियता संचार का सबसे बड़ा उद्देश्य है और संचार की सरलता का प्रयोग हर रोज बदलती हुई हिन्दी के रूप में हो रहा है।

हमारी राष्ट्रभाषा ने इस परिवर्तन को हर युग में अपनाया है। संस्कृत से लेकर पाली, पाली से लेकर प्राकृत, प्राकृत से लेकर अपभ्रंश, अपभ्रंश से लेकर खड़ी बोली और कड़ी बोली से लेकर आज की आधुनिक हिन्दी लगातार परिवर्तन को अपनाते हुए अपनी साख को लगातार बढ़ा रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज हिन्दी का एक बड़ा फलक फैला है।

गूगल का आभार मानिए जिसने हिन्दी के कम्प्यूटर प्रयोग को लगातार उपभोक्ताओं के लिए सरल बनाने का काम किया है। आज हिन्दी के अनेक फॉन्ट माइक्रोसॉफ्ट उपलब्ध करवा रहा है। यूनिकोड जैसे फॉन्ट और गूगल द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे भाषा इनपुट टूल्स ने समय के अनुसार हिन्दी के संचार को बाधित नहीं होने दिया है।

सिनेमा का तो हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान है ही। कितनी ही फिल्मों की रिलीज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। यही नहीं, हिन्दीभाषी समाज जो विदेशों में लगातार बढ़ रहा है, साहित्य, उद्योग तथा सामाजिक उत्सवों के जरिए भाषा के प्रचार-प्रसार में अपनी एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।

आज हिन्दी का भारतीय बाजार में पूरी तरह वर्चस्व फैला है। अनुवाद, शिक्षा, पत्रकारिता, बैंकिंग, विज्ञापन, सिनेमा, खान-पान आदि सभी क्षेत्रों में हिन्दी एक आधार का काम कर रही है। हिन्दी के न जाने कितने ब्लॉग, ऑनलाइन साहित्य, पत्र-पत्रिकाएं, फेसबुक, ट्विटर आदि हमारे रोजमर्रा के जीवन का एक अभिन्न रूप बन चुके हैं।

हमारी भाषा अस्तित्व रूप में हमारे साथ हर समय जुड़ी हुई है इसलिए 'हिन्दी दिवस' आने पर किसी चिंता का रोदन करने के बजाए भाषा को रोजगार से जोड़कर देखा जाए और इस बात का प्रचार किया जाए कि हमारी हिन्दी भाषा तो हमारे जीवन में चलती सांसों के समान है, हम एक क्षण भी उसके बिना नहीं रह सकते, वो हमेशा हमारे इर्द-गिर्द बनी रहेगी।

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