Hindi, asked by johny6437, 1 year ago

ESSAY OF 300 WORDS ON AADHUNIK BHARAT IN HINDI

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Answered by googleuser687
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मित्र हम इस विषय पर आपको एक लेख उपलब्ध करवा रहे हैं। आप इस लेख की सहायता इस विषय स्वयं निबंध लिखने का प्रयास करें-

वर्षों पुरानी बात है, जब भारत गुलाम देश था। इस पर शासित देश ने इसकी अतुलनीय धन-संपदा पर कब्ज़ा कर लिया और इसे निर्धन बना दिया। समय बदला और भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली। देश के आगे अब अनेक चुनौतियाँ विद्यमान थीं। भारत यूरोपीय देशों की तुलना में बहुत पिछड़ा हुआ था और विदेशी सहायता पर निर्भर था। स्वतंत्र भारत को आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने की आवश्यकता थी। तत्कालीन सरकार द्वारा अनेक प्रकार के प्रयास किए गए। इन प्रयासों ने धीरे-धीरे अपना रंग दिखाना शुरू किया और भारत ने अपने कदम बढ़ाने आरंभ किए। भारत सरकार अर्थव्यवस्था के विकास की दिशा में प्रयत्नशील थी। वे देश को दूसरे देशों की तुलना में आगे ले जाना चाहती थी। इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। सबसे पहला उद्देश्य भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाना था। जहाँ उत्पादन क्षमता में वृद्धि होने लगी, भारत की आर्थिक व्यवस्था बढ़ने लगी। भारत में औद्योगिक विकास पर विशेष ज़ोर दिया गया क्योंकि यह देश के आर्थिक पक्ष को ठोस आधार देते हैं। भारत में शिक्षा के स्तर को फैलाया गया। भारत में कंप्यूटर के प्रयोग को भी महत्व दिया गया। सारे सरकारी संस्थानों में कंप्यूटर को स्थान देकर अपनी प्रगति को भारत ने नए आयाम दे दिया। इसके बाद भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। २१वीं सदी के भारत को मज़बूत और आधुनिक  बना दिया गया है। यह है हमारा आधुनिक भारत। आज पूरे विश्व में भारत का लोहा माना जाने लगा है। देश के प्रत्येक महानगर और गाँव में शिक्षा का प्रसार तेज़ी से फैल चुका है। बिजली-पानी, चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ गाँव-गाँव, नगर-नगर तक पहुँच गई हैं। चिकित्सा व्यवस्था में भारत के कई बड़े अस्पताल विश्व में अपना नाम स्थापित कर चुके हैं। आज का भारत सफलता के शिखर पर अग्रसर है। प्रौद्योगिकी विकास ने सोने पे सुहागा का कार्य किया है, वह अन्य देशों की तुलना में अत्याधुनिक बन गया है। भारत अन्य देशों को टक्कर देने की क्षमता रखने लगा है। आज भारत परमाणु संपन्न देश है। अपने देश में उत्पन्न सभी समस्याओं को भविष्य में समाप्त करने का उसका उद्देश्य है। आज का भारत अपनी विजयगाथा का बखान अपनी प्रगति से कर रहा है, जो अन्य देशों के लिए मिसाल है।

Answered by parkeshaditya92
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Answer:

1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्ति के बाद आधी शताब्दी से भी अधिक समय बीत चुका है। परन्तु हमने इतने वर्षों में क्या खोया या पाया, आइये इसका आकलन करें। पिछले 63 वर्षों में भारत में गरीबी घटी है लेकिन अभी भी लगभग 25 प्रतिशत लोग काफी दयनीय अवस्था में जीवन-यापन कर रहें हैं। उनको भूख के अलावा मूलभूत सुविधाओं, स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं और नौकरियों के अभाव का सामना करना पड़ता है। मध्यवर्गीय परिवारों की स्थिति कुछ विशेष रूप से भिन्न नहीं है। धनाढ्य वर्ग का कारोबार | व प्रभुत्व बढ़ा है। परन्तु ये परिवार देश की कुल जनसंख्या का केवल 20 प्रतिशत है।आजादी के बाद हमने मूलभूत उद्योगों, कृषि, कपड़ा व टैक्सटाइल, यातायात और दूरसंचार के क्षेत्रों में बहुत उन्नति की है। खाद्यान्न के मामले में हम बिल्कुल आत्मनिर्भर | हो चुके हैं। हम हर प्रकार की वस्तु व सेवा का देश में उत्पादन कर रहे हैं। फलस्वरूप हमारी अर्थव्यवस्था विश्व की पांच प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक हो गई है। पेट्रोलियम | पदार्थों के क्षेत्र में हम विदेशी स्रोतों पर आंशिक रूपसे निर्भर हैं। इसके अलावा हमारी अर्थव्यवस्था विश्व की उन्मुक्त बाजार प्रणाली से सामंजस्य बिठा चुकी है। भारत अब अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राओं के समक्ष स्वतंत्र रूप से अपने रुपये का आदान-प्रदान कर रहा है। हमारे निर्यात व आयात भी बढ़ रहे हैं। परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अभी तक कुल मिला कर घाटा ही चल रहा है क्योंकि आयात के आंकड़े निर्यात के आंकड़ों से अधिक हैं।

सामाजिक व आर्थिक स्तरों पर हमारे देश में प्रगति हुई है। परन्तु युवा मुख्य मार्ग | से भटक कर सिनेमा, इन्टरनैट, नशीली दवाओं और उन्मुक्त जीवन की व्याधियों के शिकार हो गये हैं। कुछ छात्र अपने जीवन के ध्येय निर्धारित करते हैं और सफल भी होते | हैं। कारोबार बढ़ने से उद्योगों की उत्पादकता व संख्या में वृद्धि हुई है। परन्तु बेरोजगारों की संख्या भी बढ़ी है।नैतिक मूल्यों का ह्रास भारत में सत्तर के दशक में ही आरम्भ हो गया था। अब हम सब पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगे जा चुके हैं। विदेशी पहनावा, भाषायें तथा खान-पान हमें आधुनिक लगते हैं। हमारे पूर्वजों की देन हमें याद नहीं रह गई है और डिस्को, मद्यपान, नशा, तेज रफ्तार से चलने वाला जीवन व आपसी मनमुटाव हमारे जीवन के अभिन्न अंग बन कर रह गये हैं। सबसे अधिक हमने अपना राष्ट्रीय चरित्र खो दिया है जिससे समाज में अनाचार तथा भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। आज हमारे आचार-विचार, सदाचार, आदर्श और मानवीयता की नाव मंझधार में फंस कर डूबने को तैयार है।अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। हमारी भावनाओं, इच्छाओं तथा | गतिविधियों का आदर पूरे विश्व में होता है। कश्मीर समस्या व चीन के साथ सम्बन्ध दो | मुद्दे हैं जिनके परिपेक्ष्य में भारत को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिला कर भारत की स्वतंत्रता के 62 वर्षों में हमने प्रगति की है। परन्तु और | प्रगति की आवश्यकता है ताकि भारत विश्व का अग्रणी राष्ट्र बन सके।

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