Hindi, asked by Notes2975, 1 year ago

essay on adhunik samaj ki samasya

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Answered by MVeronica
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Hey mate here's ur answer.....✒


(1) जातिगत भेदभाव – हमारे समाजमेंजातिगत भेदभाव एक महत्वपूर्णसमस्या है। इस जातिगत भेदभाव से जहां एक ओर मानवता का दृष्टिकोण धूमिल होता है, वहीं दूसरी ओर अनेक प्रतिभासम्पन्न युवक अपनी प्रगति से वंचित रह जाते हैं।

(2) नारी-शोषण – आज के समय में पुरुष नारी को सेविका समझकर उस पर अनेक प्रकार के अत्याचार करता है। प्राचीन काल में जिस नारी को त्याग और ममता पूर्व माना जाता है उसे आधुनिकयु में बाहपुर द्वराह शोषणकाशिक हो रही है |

(3) दहेज प्रथा – दहेज प्रथा हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है। अनेकों युवतियां प्रतिदिन दहेज की बलिवेदी पर चढ़ती हैं। दहेज के इस अभिशाप के कारण सुयोग्य और सुन्द्र युवतियों को अयोग्य और असुन्दर युवकों के साथ बांध दिया जाता है, जिस कारण वे निरीह जन्तु की तरह उनका बोझ ढोती रहती हैं।

(4) बेरोजगारी – आज बेरोजगारी की समस्या का सबसे बड़ा अभिशाप है। हमारा देश शिक्षित और अशिक्षित दोनों तरह की बेरोजगारी से ग्रस्त है। बेरोजगारी से परेशान शैक्षीक युवक चोरी, डकैती तथा इसी प्रकार के अन्य आर्थिक, सामाजिक अपराध करते हैं।

(5) भ्रष्टाचार – हमारे देश में भ्रष्टाचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। सरकारी कार्यालयों में बिना रिश्वत लिए कोई काम सम्भव नहीं है। यद्यपि रिश्वत लेना व रिश्वत देना दोनों ही संगीन प्रकार के अपराध हैं किन्तु यह जानते हुए भी हमें अपना काम करने के लिए सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत देनी पड़ती है।

(6) जनसंख्या वृद्धि – आज जनसंख्या में निरन्तर तेज गति से वृद्धि होने के कारण जनसंख्या वृद्धि हमारे देश व समाज के लिए बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है |

(7) अनुशासनहीनता – अनुशासनहीनता से समाज के नियम भांग होते हैं जिस कारण सामाजिक समस्यां प्रतिदिन बढती ही चली जा रही हैं |

(8) मदिरापान –  मदिरापान एक ईएसआई सामाजिक बुरे है जो समाज के साधनों को कुंठित कर देती है | मदिरापान समाज के नैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्यों कको नष्ट करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |

 

(9 ) प्रदुषण की समस्या – आज कारखानों का धुंआ और कचरा प्रदुषण को बढ़ने में सबसे ज्यादा सहयोग कर रहे है | जहाँ एक और वायु प्रदूषित हो रही है, वही दूसरी और नादियों का जल भी विषैला  होता जा रहा है |

उपसंहार –  समाज की समस्याए केवल कानून बनाकर ही समाप्त नहीं हो सकती, इसके लिए समाज की मानसिकता को बदलना बहुत आवश्यक है | इस समस्या के निदान के लिए समाज के प्रत्येंक व्यक्ति को सृत्संकल्प एवं कटिबद्ध होना होगा , अन्यथा ये बुरायाँ घुन की भांति समाज के शारीर को चाट जाएँगी और समाज का यह ढांचा चरमराकर गिर पड़ेगा |

hope it will help u✌
Answered by srmila
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Aadhunik samaj ki samasya .........
Aaj hm 21wi satbadi m jee rahe h .....to lazmi h ki hm aadhunik v hote ja rahe h ..............Samasya aadhunik nahi h .......Aadhunik ke arth ko badnle ki samasya h .....Aaj k samay m Mein Har Koi aadhunik dekhna chahta hai ......Karan Ek Doosre Se apne aap ko badh kar dikhana ..... pratispardha ka bhav sahi hai par kuch Shetra Mein Hai Uska sadupyog hota h Jaise padhai ke Chetra Kala ityaadi Mein pratispardha ka bhav Sahi Mana gaya hai ..........par aaj ki Yuva Pidhi r savi aayu warg k logo ko isme koi ruchi nahi h .........Sare varg Ke Log sirf dikhave Or chakachoundh duniya ki taraf Akarshit ho rahe h .......Ek Doosre Ko nicha Dikhane ka kaam Badi Teji se kar rahe hain ...............thaa Apne Aap Ko atyadhunik Dikhane Ka prachalan Is Kadar bada hai ki log Samne Wale Ko Nahi Dekhte ki woh Uske sage sambandhi ho ya bhai pratispardha ka dour sare chetro m dekhne ko mil raha h ...........Or. yahe cheez Hamare liye jatil samasya Banti ja rahi hai ............Jiska Nivaran hai aap se Bhaichara .............mail milap ..........

nias26686papdt5: hy
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