ESSAY ON BHAGYA NIRMATA MANUSHYA IN HINDI
Answers
Answered by
39
आदमी खुद के लिए अपने स्तर की दुनिया अपने हाथों खुद रचता बुनता है . जिस घोसलें में वह रहता है अपनी जिंदगी बिताता है उसकी निजी जिंदगी में किसी अन्य दूसरे का हस्तक्षेप नहीं रहता है . मनुष्य के जीवन में दुनिया की अड़चनें और सुविधाएं तो धूप छाँव की तरह आती और जाती हैं और उनकी परवाह किये वगैर कोई भी राहगीर लगातार अपने मार्ग पर चल सकता है .
किसी की कोई मजाल नहीं है की वह अपने मार्ग पर बढ़ रहे राहगीर को रोक सके . भले या बुरे स्तर के कार्य करने वालों की कथा गाथा इसी तरह की होती है जिसमें प्रतिकूल परिस्थितियों का झीना परदा उन्होंने उठाया और वही कर गुजरते हैं जो अभीष्ट होता है .
मनुष्य कुछ इस तरह की धातु का बना होता है जिसकी संकल्प भरी शक्ति और साहसिकता के आगे कोई भी अवरोध टिक नहीं पाता है और न भविष्य में टिक पायेगा . इस तरह से यह कहा जा सकता है की मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है . दुनिया में मनुष्य के आगे असंभव कुछ भी नहीं है . आदमी के अच्छे या बुरे होने का निर्धारण स्वयं उसके कर्म करते हैं .
किसी की कोई मजाल नहीं है की वह अपने मार्ग पर बढ़ रहे राहगीर को रोक सके . भले या बुरे स्तर के कार्य करने वालों की कथा गाथा इसी तरह की होती है जिसमें प्रतिकूल परिस्थितियों का झीना परदा उन्होंने उठाया और वही कर गुजरते हैं जो अभीष्ट होता है .
मनुष्य कुछ इस तरह की धातु का बना होता है जिसकी संकल्प भरी शक्ति और साहसिकता के आगे कोई भी अवरोध टिक नहीं पाता है और न भविष्य में टिक पायेगा . इस तरह से यह कहा जा सकता है की मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है . दुनिया में मनुष्य के आगे असंभव कुछ भी नहीं है . आदमी के अच्छे या बुरे होने का निर्धारण स्वयं उसके कर्म करते हैं .
Similar questions