Essay on games and exercise in Hindi
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Explanation:
व्या,याम स्वस्थ रहने के लिए बहुत ही जरूरी है और यह बिमारियों से दुर रहने का एकमात्र साधन है। दवाई किसी भी बिमारी को खत्म करती है पर व्यक्ति को स्वस्थ नहीं रखती है। हमें हमारी दिनचर्या में व्यायाम को जोड़ना चाहिए और नियमित रूप से निर्धारित समय पर व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम करने से हमें अनेकों साभ है। यह हमें स्वस्थ, तंदुरूस्त और चुस्त रखता है। व्यायाम करने से व्यक्ति का मन उत्साहित और प्रसन्न रहता है। व्यायाम हमारा मोटापा कम करता है और हमारी माँस पेशियों को मजबूत रखता है। व्यायाम करने से रक्त संचार बना रहता है और दिल के दौरे का खतरा कम हो जाता है।
शरीर को स्वस्थ और तंडरुसत रखना रखना आज एक समस्या बन गया है। लोग कहते हैं – “हमारे पास व्यायाम का समय कहाँ है ?” परन्तु ध्यान रहे – स्वास्थ्य और सौन्दर्य एक बार बिगड़ जाए, तो उसे ठीक करना कठिन हो जाता है। शरीर सुडौल रहे, सुन्दर रहे, जवानी जैसी उमंग क़ायम रहे – यह मनुष्य के वश में है। प्रतिदिन आधे घंटे व्यायाम करके इसका कमाल देखा जा सकता है।
मनुष्य की महान सम्पत्ति उसका स्वास्थ होता ही होता है। व्यायाम का उद्देश्य आपको पहलवान बनाना नहीं है। इसका उद्देश्य है – आपके शरीर को रोगों से बचाना – चुस्त – दुरुस्त और फ़ुर्तिला बनाना – शरीर को सुडौल और सुन्दर बनाना – तरूणई और जवानी के उत्साह को बढ़ाना। व्यायाम करने से शरीर हल्का, चुस्त और निरोग रहता है। शरीर में काम करने की शक्ति बढ़ती है।
व्यायाम योजना वही ठीक है जो शरीर को चुस्त और फ़ुर्तिला बनाते पर ज़ोर दे, ताकि आपको व्यायाम के बाद सुस्ती न हो, दिन में नींद न आए। बल्कि आपके दिन – भर के कामों को आप चूसती – फुर्ती और उत्साह से करें। इसलिए जिन व्यायामों से शरीर पर भोझ नहीं पड़ता, देह की कार्य – शक्ति में कमी नहीं आती, बल्कि व्रिदिध होती है, वे ही व्यायाम लाभकारी हैं।
खेलों का जीवन में बहुत महत्त्व है । खेल उतने ही आवश्यक है । जितनी पढ़ाई । पढ़ाई के लिए स्वस्थ मस्तिष्क चाहिए । स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में ही निवास करता है । शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खेल अनिवार्य हैं । खेल समय की बर्बादी नहीं है । खेल एक अच्छा व्यायाम है ।
खेलों से कसरत होती है । खाया-पीया हजम होता है । छोटी-मोटी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं । खूब भूख लगती है और पाचन क्रिया में सुधार होता है । बढ़ने वाले लडुकों का शारीरिक विकास होता है । खेलों से चुस्ती-स्कूर्ति प्राप्त होती है । आलस्य दूर भागता है, चित्त प्रसन्न होता है । चित्त की इस अवस्था में पढ़ाई जैसा कोई भी कार्य भली भाँति किया जा सकता है ।
खेल एक अच्छा मनोरंजन है । खेल खेलने वाले को भी मनोरंजन मिलता है और खेल देखने वाले को भी । आज जब बड़े-बड़े स्टेडियम में हॉकी, क्रिकेट अथवा फुटबाल के मैच खेले जाते हैं, तो हजारों की संख्या में दर्शक उन्हें देखने पहुँचते हैं । यही नहीं, मैच देखने के लिए टिकटें खरीदी जाती हैं ।
जहाँ दर्शकों की इतनी बड़ी भीड़, मैच देखकर मनोरंजन प्राप्त करती है वहाँ इतने लोगों के सामने खेलते हुए खिलाड़ियों का भी उत्साहवर्धन होता है । वे अधिक शक्ति और कौशल से खेलते हैं । बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार घोषित करके उनका उत्साहवर्धन करती हैं । ऐसा करके उन कम्पनियों को खूब प्रचार मिलता है और उनकी चीजों की बिक्री बढ़ती है ।
जीवन स्वयं में एक खेल है जिस प्रकार खेल में उतार-चढ़ाव आते हैं तथा हार-जीत होती है, ठीक उसी प्रकार जीवन में भी ऐसी परिस्थितियां आती हैं । खेल का खेलना हार-जीत से अधिक महत्त्वपूर्ण हैं । जीवन में परस्पर सहयोग और प्रेम का बहुत महत्त्व है । इनसे ही ससार रहने योग्य बनता है । खेलकूद से परस्पर सहयोग तथा प्रेम की भावना बढ़ती है । मैच तथा खेल टीम भावना से खेले जाते हैं ।