India Languages, asked by suma7rmakirtikamolm, 1 year ago

Essay on guru purnima in hindi language

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Answered by rajasekhar3036
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गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर, विश्व के समस्त गुरुजनों को मेरा शत् शत् नमन। गुरु के महत्व को हमारे सभी संतो, ऋषियों एवं महान विभूतियों ने उच्च स्थान दिया है।संस्कृत में ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान)एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश(ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जो हमारा पालन-पोषण करते हैं, सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरुवाती आवश्यकताओं को सिखाते हैं। अतः माता-पिता का स्थान सर्वोपरी है। जीवन का विकास सुचारू रूप से सतत् चलता रहे उसके लिये हमें गुरु की आवश्यकता होती है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है। गुरू शिष्य का संबन्ध सेतु के समान होता है। गुरू की कृपा से शिष्य के लक्ष्य का मार्ग आसान होता है।स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से परमात्मा को पाने की चाह थी। उनकी ये इच्छा तभी पूरी हो सकी जब उनको गुरू परमहंस का आर्शिवाद मिला। गुरू की कृपा से ही आत्म साक्षात्कार हो सका।छत्रपति शिवाजी पर अपने गुरू समर्थ गुरू रामदास का प्रभाव हमेशा रहा। गुरू द्वारा कहा एक शब्द या उनकी छवि मानव की कायापलट सकती है।

Shreyathegreat: Hope this helps
Answered by Shreyathegreat
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वैसे तो कई धर्म होते है तथा हर धर्म के लोगो की अलग अलग मान्यता होती है. जैसे हिन्दू मंदिर जाते है, सिख्क गुरुद्वारे जाते है, तो मुस्लिम लोग मज्जिद जाते है तथा क्रिशन लोग चर्च जाते है | इन लोगो के अपने धर्मो के देवी देवताओ को पूजने का अलग तरीका भी होता है, परंतु फिर भी एक ऐसी चीज भी है, जिन्हे ये सब एक साथ मानते तथा पूजते है “गुरु”. गुरु कोई भी हो सकता है एक संत महात्मा या कोई चर्च के फादर या कोई और एक साधारण से स्कूल कॉलेज मे पढाने वाला या वाली भी गुरु ही होते है| यह भी कहा जा सकता है कि विद्यालय (school) ही वह पहली जगह है, जहाँ एक बच्चा अपने जीवन मे पहली बार अपने जीवन के पहले गुरु से संपर्क मे आता है तथा विद्यालय (school) ही वह जगह है, जहा एक बच्चा अपने जीवन का प्रथम पाठ पढ़ता है.
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