Essay on "man tabhi khulte hai jab dil khulte hai" in 1000 words
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मन तभी खुल सकते हैं , जब दिल खुलते हैं
मन का मतलब है दिमाग, बुद्धि जो अपने सर में रहता है | दिमाग तेज रहता है | और सोचता है | फिर दिल तो इससे बहुत भिन्न है | दिल गरमी, गुस्सा, शांती, स्नेह, शोक, आनंद जैसे भावों को अनुभव करता है , महसूस करता है | दिल सोचता नहीं और दिमाग भावनाओ को अनुभव नहीं करता|
बुद्धिमान लोगों में दिमाग (मन) शरीर और दिल पर राज करता है | और कमजोर व्यक्तियों में दिल हमारे शरीर पर और दिमाग पर नियंत्रण रखता है | बचपन और किशोर अवस्थाओं में दिल पर ध्यान ज्यादा होता है | मानवता दिल से सम्बन्ध रकता है |
अगर कोई आदमी अपना दिल पूरा बंद करके रहता है तो उसके दिमाग में शांति नहीं रहती | तो वो ठीक तरह से सोच नहीं सकता | अगर हम एक पौधे को एक अलमारी में बंद कर दें तो क्या होगा ? पौधा हवा नहीं ले सकता | फिर वह अपने लिए खाना (या ऊर्जा) नहीं बना सकता | तो वह धीरे धीरे मर जाएगा|
इसी तरह अगर हम अपने दिल को , दिल में उत्पन्न होने वाले भावनाओं को अगर एक बंद डिब्बे जैसे बंद कर दें , तो फिर इसका असर हम को दिमाग पर पड़ेगा | दिमाग खुल कर समयाओं पर नजर डाल नहीं सकता | क्या करना है और क्या नहीं करना है, इस संकोच में पड जायेगा |
हमारे जिन्दगी में बहुत ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं कि हम जो चाहते हैं वो नहीं होता | हमें खेद होता है | विवश होते हैं | तब हम दिल इतना दुःखता है कि हमारा मन काम नहीं कर सकता | तब हम को कुछ ऐसे काम करने चाहिए जिन से दिल खुश हो जय और दिमाग ठीक हो जाय | हमें शायद खेल खुदों से गहरे रिश्ते हों तो तुरंत कुछ खेल खेलना चाहिए | बाहर घूम सकते हैं और स्वच्छ हवा से दिमाग की हालत सुधरती है |
जैसे कि एक नल (नाहर) में कुछ बाधा होने से पानी अटक जाती है, और उसे हटाने से फिर पानी अच्छी तरह बहता है| बिलकुल ऐसी तरह बंद दिल और दिमाग को स्वस्थ चलाने के लिए हमें दिमाग का ताला दिल की चाबी से खुलना पड़ता है|
यह तकलीफ अक्सर इन्जनीयर, कवी , लेखक महसूस करते हैं | फिर अपने अपने ढंग से वे थोडासा मनोरंजन, या ध्यान या थोडासा दोस्तों से बात चीत करके दिमाग फिर ट्राक पर लाते हैं| अंग्रेजी में कह दें कि "to unleash the power of brain, open the doors of heart".
मन का मतलब है दिमाग, बुद्धि जो अपने सर में रहता है | दिमाग तेज रहता है | और सोचता है | फिर दिल तो इससे बहुत भिन्न है | दिल गरमी, गुस्सा, शांती, स्नेह, शोक, आनंद जैसे भावों को अनुभव करता है , महसूस करता है | दिल सोचता नहीं और दिमाग भावनाओ को अनुभव नहीं करता|
बुद्धिमान लोगों में दिमाग (मन) शरीर और दिल पर राज करता है | और कमजोर व्यक्तियों में दिल हमारे शरीर पर और दिमाग पर नियंत्रण रखता है | बचपन और किशोर अवस्थाओं में दिल पर ध्यान ज्यादा होता है | मानवता दिल से सम्बन्ध रकता है |
अगर कोई आदमी अपना दिल पूरा बंद करके रहता है तो उसके दिमाग में शांति नहीं रहती | तो वो ठीक तरह से सोच नहीं सकता | अगर हम एक पौधे को एक अलमारी में बंद कर दें तो क्या होगा ? पौधा हवा नहीं ले सकता | फिर वह अपने लिए खाना (या ऊर्जा) नहीं बना सकता | तो वह धीरे धीरे मर जाएगा|
इसी तरह अगर हम अपने दिल को , दिल में उत्पन्न होने वाले भावनाओं को अगर एक बंद डिब्बे जैसे बंद कर दें , तो फिर इसका असर हम को दिमाग पर पड़ेगा | दिमाग खुल कर समयाओं पर नजर डाल नहीं सकता | क्या करना है और क्या नहीं करना है, इस संकोच में पड जायेगा |
हमारे जिन्दगी में बहुत ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं कि हम जो चाहते हैं वो नहीं होता | हमें खेद होता है | विवश होते हैं | तब हम दिल इतना दुःखता है कि हमारा मन काम नहीं कर सकता | तब हम को कुछ ऐसे काम करने चाहिए जिन से दिल खुश हो जय और दिमाग ठीक हो जाय | हमें शायद खेल खुदों से गहरे रिश्ते हों तो तुरंत कुछ खेल खेलना चाहिए | बाहर घूम सकते हैं और स्वच्छ हवा से दिमाग की हालत सुधरती है |
जैसे कि एक नल (नाहर) में कुछ बाधा होने से पानी अटक जाती है, और उसे हटाने से फिर पानी अच्छी तरह बहता है| बिलकुल ऐसी तरह बंद दिल और दिमाग को स्वस्थ चलाने के लिए हमें दिमाग का ताला दिल की चाबी से खुलना पड़ता है|
यह तकलीफ अक्सर इन्जनीयर, कवी , लेखक महसूस करते हैं | फिर अपने अपने ढंग से वे थोडासा मनोरंजन, या ध्यान या थोडासा दोस्तों से बात चीत करके दिमाग फिर ट्राक पर लाते हैं| अंग्रेजी में कह दें कि "to unleash the power of brain, open the doors of heart".
kvnmurty:
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