essay on Mere Jeevan Ka Lakshya in Hindi
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मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है । कुछ बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो कुछ व्यापार में अपना नाम कमाना चाहते हैं ।
इसी प्रकार कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं तो कुछ भक्ति के मार्ग पर चलकर ईश्वर को पाने की चेष्टा करते है । सभी व्यक्तियों की इच्छाएँ अलग-अलग होती हैं परंतु इनमें से बहुत कम लोग ही अपनी इच्छा को साकार रूप में देख पाते हैं । थोड़े से भाग्यशाली अपनी इच्छा को मूर्त रूप दे पाते हैं । ऐसे व्यक्तियों में सामान्यता दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है और वे एक निश्चित लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं ।
मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य का होना अनिवार्य है । लक्ष्यविहीन मनुष्य क्रिकेट के खेल में उस गेंदबाज की तरह होता है जो गेंद तो फेंकता है परंतु सामने विकेट नहीं होते । इसी भाँति हम परिकल्पना कर सकते हैं कि फुटबाल के खेल में जहाँ खिलाड़ी खेल रहे हों और वहाँ से गोल पोस्ट हटा दिया जाए तो ऐसी स्थिति में खिलाड़ी किस स्थिति में होंगे इस बात का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है । अत: जीवन में एक निश्चित लक्ष्य एवं निश्चित दिशा का होना अति आवश्यक है ।मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर चिकित्सक बनूँ और अपने चिकित्सा ज्ञान से उन सभी लोगों को लाभान्वित करूँ जो धन के अभाव में उचित चिकित्सा प्राप्त नहीं कर पाते हैं । मैं इस बात को अच्छी तरह समझता हूँ कि एक अच्छा चिकित्सक बनना आसान नहीं है ।
अच्छे विद्यालय का चयन, उसमें प्रवेश पाना तथा पढ़ाई में होने वाला खर्च आदि अनेक रुकावटें हैं । परंतु मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इन बाधाओं को पार कर सकूँगा । इसके लिए मैंने बहुत कड़ी मेहनत का संकल्प लिया है । उचित मार्गदर्शन के लिए मैं अपने अध्यापक व अनुभवी छात्रों का सहयोग ले रहा हूँ ।
चिकित्सक बनने के बाद मैं भारत के उन गाँवों में जाना चाहता हूँ जहाँ पर अच्छे चिकित्सक का अभाव है अथवा जहाँ पर चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था नहीं है । में उन सभी लोगों का इलाज नि:शुल्क करना चाहता हूँ जो धन के अभाव में अपना इलाज नहीं करा पाते हैं । इसके अतिरिक्त मैं उनमें अच्छे स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता लाना चाहता हूँ ।
वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, सफाई, स्वास्थ्य एवं संतुलित भोजन के महत्व को समझें, इसके लिए मैं व्यापक रूप से अपना योगदान देना चाहता हूँ । आजकल कुछ परंपरागत रोगों का इलाज तो आसानी से संभव है लेकिन उचित जानकारी का अभाव, रोग तीव्र होने पर ही इलाज के लिए तत्पर होना जैसी समस्याएँ अशिक्षितों एवं ग्रामीणों की प्रमुख समस्याएँ हैं ।
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हर इंसान का जीवन में कुछ न कुछ लक्ष्य होता है। कोई डाक्टर, तो कोई वकील, कोई टीचर तो कोई कुछ। परंतु मैं तो एक IAS अफ़सर बनना चाहता हूं। जो देश की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक है।
मैं कठिन नहीं मानता किसी चीज़ को क्योंकि कठिन कुछ नहीं होता सब समझने का खेल है हमारी बुद्धि का। IAS बनना यानि अपने कंधे पर देश का भार लेना जो सबको नसीब नहीं होता। वास्तव में आईएएस अफसर देश को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।हांलाकि इस पथ पर चलने में कठिनाई तो होगी परंतु यदि आप कुछ नीतियों को सही तरीके से अपनाते हैं तो जरुर पास कर जाऐंगे।
जैसे- इकोलॉजी, एंवायरमेंट, आर्ट और कल्चर पर करना होगा ध्यान
कई किताबों को पढ़ने से अच्छा है एक ऐसी क्व़ॉलिटी की किताब पढ़ें जिससे आपके बेसिक कॉंन्सेप्ट क्लियर हो जाएं।टॉपिक्स की पढ़ाई के लिए जरूरी है कि आप उससे जुड़े नोट्स बनाएं।मॉक टेस्ट से तैयारी कर आप अपनी स्पीड तो बढ़ा ही सकते हैं बल्कि इसकी मदद से सवालों को जल्दी हल करने की समझ भी बढ़ती है।
नियमित रूप से पढ़ें अखबार।एनसीईआरटी की किताबों को जरूर पढ़ें।अगर आप किसी विषय को रट रहे हैं तो आप कुछ समय बाद भूल जाएंगे इसलिए।घटनाओं के विश्लेषण करने की आदत डालें। इससे आप उसे हमेशा याद रखेंगें. इसके लिए आप इंटरनेट की मदद ले सकते हैं।
बस रखें लक्ष्य ऐसा नीति बनाएं ऐसा हर नागरिक IAS बनेगा आपके जैसा..Thank's..M8..(mate).........