Hindi, asked by amitmassey3535, 1 year ago

Essay on natural disaster in hindi language

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Answered by swapnil756
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नमस्कार दोस्त
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प्राकृतिक आपदा अप्रत्याशित, गंभीर और तत्काल है प्रदूषण, स्ट्रैटोस्फियर में ओजोन की कमी और ग्लोबल वार्मिंग इस श्रेणी में आती है। प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं तूफान, भूकंप, बाढ़, सूखा (हालांकि इन दोनों को अब 'मानव निर्मित' आपदाओं 'के रूप में माना जा रहा है) गर्मी और ठंडे लहरें, भूस्खलन, हिमस्खलन, बाढ़, गड़गड़ाहट, ओलों, निम्न स्तर की पवन कैंची और माइक्रोबूरस्ट

किसी भी प्राकृतिक खतरे की विनाशकारी क्षमता मूल रूप से इसके स्थानिक सीमा और तीव्रता से अनुमानित है। जहां तक एक ख़तरनाक घटना का प्रभाव महसूस किया जा सकता है, उस स्थान तक आसानी से छोटे, मध्यम और बड़े पैमाने पर वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ किलोमीटर से कुछ किलोमीटर तक विस्तार करने वाली घटना को छोटे पैमाने के रूप में कहा जाता है

औद्योगिकीकरण और प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित शोषण बढ़ने से हमारे इको सिस्टम को गैर-उलटीपन और असंतुलन की कगार पर पहुंच गया है। इसने प्राकृतिक खतरों जैसे कि प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और बड़े या वैश्विक पैमाने पर ओजोन की कमी के एक खतरे से खतरा पैदा किया है।


प्रबंधन:

आपदा के प्रबंधन के पहलू को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: (ए) पूर्व चेतावनी प्रणाली; (बी) बचाव कार्यों; (सी) राहत कार्य; (डी) पुनर्वास; और (ई) लंबी दूरी की योजना बना सबसे महत्वपूर्ण प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है जब तक पर्याप्त अग्रिम नोटिस उपलब्ध नहीं है, तब तक होने वाली होने वाली आबादी की निकासी नहीं की जा सकती।

प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के दो पहलू हैं। एक यह है कि आपदा की भविष्यवाणी के लिए एक प्रभावी तकनीक की उपलब्धता और दूसरा, बचाव कार्यों के लिए जिम्मेदार नागरिक प्राधिकरण को प्रभावी संचार होता है

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Answered by Anonymous
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Answer:

प्राकृतिक आपदा अपने साथ बहुत सारा विनाश लेकर आती है। इससे धन-जन का भारी नुकसान होता है। मकान, घर, इमारते, पुल, सड़के टूट जाती है। करोड़ो रुपये का नुकसान हो जाता है।

रेल, सड़क, हवाईमार्ग बाधित हो जाता है। वन्य जीव नष्ट हो जाते है, वातावरण प्रदूषित हो जाता है। वन नष्ट हो जाते है, परिस्तिथिकी तंत्र को नुकसान पहुचता है। जिस शहर, देश में भूकंप, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, भूस्खलन जैसी आपदा आती है वहां पर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

लाखो लोग बेघर हो जाते हैं। फोन सम्पर्क टूट जाता है। जलवायु परिवर्तित हो जाती है। लाखो लोग अचानक से काल के गाल में समा जाते हैं। प्राकृतिक आपदा हमेशा अपने पीछे भयंकर विनाश छोड़ जाती है। शहर को दोबारा बनाने में फिर से संघर्ष करना पड़ता है।

करोड़ो रुपये फिर से खर्च करने पड़ते है। बाढ़, मूसलाधार बारिश, ओलावृष्टि जैसी आपदा सभी फसलों को नष्ट कर देती है जिससे देश में अनाज की कमी हो जाती है। लोग भुखमरी का शिकार हो जाते हैं। सूखा, महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा आने से पूरे प्रदेश में बीमारी फ़ैल जाती है जिससे हजारो लोग मौत का शिकार बन जाते हैं।

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