Science, asked by lata327, 1 year ago

Essay on petrol oil in hindi​

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Answered by rosesharma
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पेट्रोलियम धरातल के नीचे स्थित अवसादी परतों के बीच पाया जाने वाला संतृप्त हाइड्रोकार्बनों का काले भूरे रंग का तैलीय द्रव है, जिसका प्रयोग वर्तमान में ईंधन के रूप में किया जाता है| पेट्रोलियम को ‘जीवाश्म ईंधन’ भी कहते हैं, क्योंकि इनका निर्माण धरातल के नीचे उच्च ताप व दाब की परिस्थितियों में मृत जीव-जंतुओं व वनस्पतियों के जीवाश्मों के रासायनिक रूपान्तरण से होती है|

‘पेट्रोलियम’ शब्द का निर्माण ‘पेट्रो’ अर्थात ‘चट्टान’ और ‘ओलियम’ अर्थात‘तेल’ से मिलकर हुआ है, इसीलिए इसे ‘चट्टानी तेल’ या ‘रॉक ऑयल’ भी कहा जाता है| वर्तमान विश्व में इसे, इसके ऊर्जा के स्रोत के रूप में महत्व के कारण, ‘काला सोना’ भी कहा जाता है|

पेट्रोलियम की उत्पत्ति- पेट्रोलियम कैसे बना है इसका अभी तक कोई सर्वमान्य सिद्धांत स्थिर नहीं हुआ है। भिन्न भिन्न वैज्ञानिकों ने भिन्न भिन्न सिद्धांत समय समय पर प्रतिपादित किए हैं। सिद्धांतों को हम 'कार्बनिक' और 'अकार्बनिक' सिद्धांतों में विभक्त कर सकते हैं। अकार्बनिक सिद्धांत के अनुसार धातुओं के कारबाइडों पर रासायनिक क्रिया से पेट्रोलियम बनता है। अकार्बनिक सिद्धांत के अनुसार धातुओं के कारबाइडों पर रासायनिक क्रिया से पेट्रोलियम बनता है। कार्बनिक सिद्धांत के अनुसार पेट्रोलियम जांतव और वानस्पतिक स्रोतों से बनता है। प्रवाल और डायटम से पेट्रोलियम बनने का आधुनिकतम सिद्धांत कार्बनिक सिद्धांत को ही पुष्ट करता है।

पेट्रोलियम का निष्कर्षण व शोधन-

पेट्रोलियम की प्राप्ति धरातल के नीचे स्थित अवसादी चट्टानों के ऊपर कुएं खोदकर की जाती है,जिसे ‘ड्रिलिंग’ भी कहते है| विश्व में सबसे पहले पेट्रोलियम कुएं की खुदाई संयुक्त राज्य अमेरिका के पेंसिवेनिया राज्य में स्थित ‘टाइटसविले’ स्थान पर की गयी थी| ‘ड्रिलिंग’ से प्राप्त होने वाले पेट्रोलियम के रूप को कच्चा तेल’ (Crude Oil) कहा जाता है| कच्चे तेल को रिफायनरियों में प्रसंस्कृत किया जाता है| पेट्रोलियम से ही पेट्रोल,मिट्टी के तेल,विभिन्न हाइड्रोकार्बनों, ईंथर, प्रकृतिक गैस आदि को प्राप्त किया जाता है| पेट्रोलियम से इसके अवयवों के अलग करने की विधि ‘प्रभावी आसवन विधि’ (Fractional DistillationMethod) कहा जाता है| इसे ‘पेट्रोलियम/तेल का शोधन’(Petroleum Refining) कहा जाता है|

डीजल: यह एक तरह का तैलीय द्रव हाइड्रोकार्बन है, जो पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त होता है और इसका प्रयोग वाहनों,उद्योगों,रेलवे,आदि में ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जाता है| यह पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक है, क्योंकि इसके जलने से अनेक ऐसी गैसें निकलती हैं जोकि विषैली होती हैं,जैसे-सल्फर डाई ऑक्साइड|यह पेट्रोल की तुलना में सस्ता होता है|

‘सिटी डीजल’ डीजल का एक ऐसा रूप है,जिसके जलने से हानिकारक गैसों का कम उत्पादन होता है|इसमें सल्फर की मात्रा कम होती है,इसीलिए इसे ‘अल्ट्रा लो सल्फर डीजल’ भी कहते हैं| यूरोप के अधिकांश शहरों में इसके प्रयोग होने के कारण इसे ‘सिटी डीजल’ कहते हैं|

द्रवित पेट्रोलियम गैस (एल.पी.जी.):यह प्रोपेन,ब्यूटेन और आइसो ब्यूटेन जैसे हाइड्रोकार्बनों का द्रवित मिश्रण है,जिसका प्रयोग रसोई गैस के रूप में किया जाता है| इसे भी पेट्रोलियम के

प्रभाजी आसवन से प्राप्त किया जाता है| इस गैस के रिसाव की पहचान के लिए इसमें दुर्गंधयुक्त ‘मरकेप्टन’ नाम की गैस मिलाई जाती है|

गैसोहोल: यह पेट्रोल व एल्कोहल का मिश्रण है,और गन्ने के रस से मिलने वाले एल्कोहल को पेट्रोल में मिलाकर प्राप्त किया जाता है| इसकी खोज ब्राज़ील में की गयी थी|

पेट्रोलियम के उपयोग

पेट्रोलियम का उपयोग निम्न रूपों में किया जाता है:

परिवहन मेंऔद्योगिक ऊर्जा के रूप मेंप्रकाश व ऊष्मा जनन हेतुस्नेहक (Lubricants) के रूप मेंपेट्रोकेमिकल उद्योगों मेंपेट्रोलियम के उप-उत्पादों (By- Products) का विविध रूप में उपयोग पेट्रोलियम ऊर्जा का प्रमुख स्रोत और उद्योगों में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने वाला रासायनिक उत्पाद है| लेकिन वर्तमान में इसकी बढ़ती मांग की आपूर्ति प्राकृतिक स्रोतों से पूरी नहीं हो पा रही है,अतः अब आवश्यकता है कि इसके विकल्पों की तलाश की जाए| संयुक्त राज्य अमेरिका,चीन,भारत आदि पेट्रोलियम के सबसे बड़े उपभोक्ता है,जिसकी आपूर्ति सऊदी अरब,इराक, ईरान जैसे तेल सम्पन्न देशों द्वारा की जाती है| अतः वर्तमान में किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर पेट्रोलियम के उपभोग और उत्पादन का व्यापक प्रभाव पड़ता है| भारत में पेट्रोलियम की माँग और घरेलू उत्पादन के बीच बहुत बड़ा अंतर है,इसी कारण से भारत के आयात उत्पादों में पेट्रोलियम का स्थान सबसे ऊपर रहता है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव यहाँ की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं|

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