essay on rashtrabhasha Hindi in 150 words plz
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हिन्दी ' हमारी राष्ट्र भाषा , सरलता से , मधूरता से बोली जाने वाली भाषाओं में उत्कृष्ट्र है ।भारत के ७०% आबादी भर्राटेदार हिन्दी बोलते हैं । इन्टरनेट पर हिन्दी सामग्री की खपत ९४% की दर से वृद्धि कर रही है । दुनिया मे लगभग ५०, ००० से अधिक ब्लॉग उपलब्ध हैं।१.२ लाख से ज्यादा विकीपिडिया पेज हिन्दी में उपलब्ध हैं। हरेक पाँचवा भारतीय हिन्दी में इन्टरनेट ख्गालता है । इतना विशाल है हमारी मातृभाषा हिन्दी का दायरा । और हो भी क्यों न ! आखिर हिन्दी अनेक भाषाओं के अच्छाइयों को समेटे रखा है ।
हिन्दी को उन्नत बनाने हेतु अनेक कवि , विद्वान , ज्ञानी का योगदान है । भारतेन्दू हरिश्चनद्र के प्रसिद्ध नाटक , रामघारी सिंह दिनकर , सुमित्रानन्दन पंत की कविताएँ , मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियाँ कैसे भूलें , यदि बात हिन्दी की हो । हिन्दी में मुहावरों का उपयोग वाक्य को चार - चाँद लगा देती है । अलंकार हिन्दी को सौन्दर्य प्रदान करती है । इतनी सुंदर भाषा को क्यों नही कोई सीखना चाहेगा ।
किन्तु विडम्बना है कि हमारे राष्ट्र के ३०% लोग हिन्दी से अनजान हैं। राष्ट्र के अनेक वरीष्ठ अधिकारी , नेता , वकिल , इंजिनयर आदि हिन्दी बोलना पसंद नही करते या फिर हिन्दी भाषा का उन्हे अल्प ज्ञान हैं ।मैने तो कई बार लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों को धड़ल्ले विदेशी भाषा का उपयोग करते देखा है ।यह कहना मे कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि आज हिन्दी एक विषय मात्र रह गया ।
हिन्दी का विकास होना भावी पीढी पर निर्भर करता है । हमें हिन्दी को विषय नही अपितु राष्ट्रभाषा एवं मातृभाषा में तब्दील करना होगा । मुझे गर्व है कि मै अपने अभिव्यक्ति को हिन्दी द्वारा शहजता से व्यक्त कर लेता हूँ ।
हिन्दी को उन्नत बनाने हेतु अनेक कवि , विद्वान , ज्ञानी का योगदान है । भारतेन्दू हरिश्चनद्र के प्रसिद्ध नाटक , रामघारी सिंह दिनकर , सुमित्रानन्दन पंत की कविताएँ , मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियाँ कैसे भूलें , यदि बात हिन्दी की हो । हिन्दी में मुहावरों का उपयोग वाक्य को चार - चाँद लगा देती है । अलंकार हिन्दी को सौन्दर्य प्रदान करती है । इतनी सुंदर भाषा को क्यों नही कोई सीखना चाहेगा ।
किन्तु विडम्बना है कि हमारे राष्ट्र के ३०% लोग हिन्दी से अनजान हैं। राष्ट्र के अनेक वरीष्ठ अधिकारी , नेता , वकिल , इंजिनयर आदि हिन्दी बोलना पसंद नही करते या फिर हिन्दी भाषा का उन्हे अल्प ज्ञान हैं ।मैने तो कई बार लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों को धड़ल्ले विदेशी भाषा का उपयोग करते देखा है ।यह कहना मे कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि आज हिन्दी एक विषय मात्र रह गया ।
हिन्दी का विकास होना भावी पीढी पर निर्भर करता है । हमें हिन्दी को विषय नही अपितु राष्ट्रभाषा एवं मातृभाषा में तब्दील करना होगा । मुझे गर्व है कि मै अपने अभिव्यक्ति को हिन्दी द्वारा शहजता से व्यक्त कर लेता हूँ ।
Nikki57:
Cool Answer Abhi Bhai!
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7
very useful thanks......
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