Essay on the topic sangti ka asar
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Explanation:
इस प्रकार जैसे स्वाति नक्षत्र में बरसी पानी की एक बूंद यदि केले के गर्भ में चली जाए, तो मोती बन जाती है। समुन्द्र की सीपी में पड़ जाए तो मोती बन जाती है, लेकिन यदि सर्प के मुंह में चली जाए तो विष बन जाती है। ठीक उसी प्रकार से मनुष्य यदि अच्छे लोगों की संगति में रहता है तो अच्छा बनता है। वहीं बुरे लोगों के साथ उठता बैठता है, तो उसमें अवगुण आते हैं। ऐसे में हम कह सकते है कि मनुष्य की पहचान उसके अपनी संगति के माध्यम से होती है।
संगति के प्रकार
कोई भी मनुष्य समाज में दो तरह
की संगति पाता है, एक अच्छे लोगों की और दूसरी बुरे लोगों की। जहां अच्छे लोगों की संगति उसका उद्धार करती है तो वहीं बुरे और नीच लोगों के साथ रहकर व्यक्ति का विनाश हो जाता है। इसका उदाहरण एक प्रकार से समझा जा सकता है जैसे चंदन के वृक्ष के कटते ही उसकी सुंगध से वह जड़ सींचने वाले माली तक को सुगंधित कर देता है और उसकी खुशबू का प्रसार दूर दूर तक होता है।
इसके विपरित सांप उसे पालने वाले तक को अपनी दुष्टता के कारण काट ही लेता है। ठीक उसकी प्रकार से मनुष्य यदि अच्छी संगति में रहता है तो विकास और उन्नति के मार्ग पर स्वयं को स्थापित करता है और यदि वह कुसंगति के साथ रहता है, तो वह गलत व्यवहार और आदतों के लिए जाना जाता है।