Hindi, asked by nathannayak, 1 year ago

essay on vyam ke labh in hindi in short

Answers

Answered by istuti
3

व्यायाम से अभिप्राय है अपने तन –मन को स्वस्थ, सुन्दर और निरोग बनाए रखने के लिए किया गया परिश्रमपूर्ण कार्य या प्रयास | सर्वप्रसिद्ध उक्ति ‘पहला सुख निरोगी काया’ के अनुसार शरीर का स्वस्थ व निरोग  रहना ही सबसे बड़ा सुख है | अस्वस्थ व रोगी व्यक्ति संसार के सुखो का भोग कदापि नही कर सकता है | स्वस्थ शरीर के लिए व्यायाम अत्यन्त आवश्यक है | जो व्यक्ति नित्यप्रति व्यायाम करते है , वे ही सदैव स्वस्थ व सुखी रहते है |

खेलना-कूदना , दण्ड- बैठक करना , मुगदर उठाना या घुमाना, कुश्ती लड़ना, कबड्डी खेलना , तैराकी करना, योगाभ्यास करना, नृत्य करना, घुड़सवारी करना, दौड़ लगाना, आसन तथा प्राणायाम करना आदि व्यायाम के कई ढंग , साधन और उपाय है | अपनी रूचि , इच्छा , उपलब्धता और शक्ति के अनुसार व्यक्ति इनमे से किन्ही को चुनकर नियमित रूप से अपना कर उन्हें अपने जीवन का अंग बना सकता है |

व्यायाम शरीर को स्वस्थ, ह्रष्ट-पुष्ट, सुन्दर- सुडौल तो बनाया ही करते है , मन – मस्तिष्क और आत्मा के उचित विकास में भी सहायक हुआ करते है | मस्तिष्क से काम करने वालो के लिए प्रात:काल ब्रह्म-मुहूर्त में घूमना, सूर्य नमस्कार करना आदि लाभकारी व्यायाम है | प्रात:काल खुले वातावरण में घूमना बिना मूल्य का अनमोल व्यायाम है | इससे हमे प्रात:काल जल्दी उठने की आदत पडती है तथा हमारी दिनचर्या नियमित रूप से चलती है | महात्मा गांधी जी ने भी अपनी आत्मकथा में प्रात : व सायकल में भ्रमण करना एक अच्छा व्यायाम बताया है |

Answered by diasati18Disha
3
व्यायाम से अभिप्राय है अपने तन –मन को स्वस्थ, सुन्दर और निरोग बनाए रखने के लिए किया गया परिश्रमपूर्ण कार्य या प्रयास | सर्वप्रसिद्ध उक्ति ‘पहला सुख निरोगी काया’ के अनुसार शरीर का स्वस्थ व निरोग रहना ही सबसे बड़ा सुख है | अस्वस्थ व रोगी व्यक्ति संसार के सुखो का भोग कदापि नही कर सकता है | स्वस्थ शरीर के लिए व्यायाम अत्यन्त आवश्यक है | जो व्यक्ति नित्यप्रति व्यायाम करते है , वे ही सदैव स्वस्थ व सुखी रहते है |

खेलना-कूदना , दण्ड- बैठक करना , मुगदर उठाना या घुमाना, कुश्ती लड़ना, कबड्डी खेलना , तैराकी करना, योगाभ्यास करना, नृत्य करना, घुड़सवारी करना, दौड़ लगाना, आसन तथा प्राणायाम करना आदि व्यायाम के कई ढंग , साधन और उपाय है | अपनी रूचि , इच्छा , उपलब्धता और शक्ति के अनुसार व्यक्ति इनमे से किन्ही को चुनकर नियमित रूप से अपना कर उन्हें अपने जीवन का अंग बना सकता है |

व्यायाम शरीर को स्वस्थ, ह्रष्ट-पुष्ट, सुन्दर- सुडौल तो बनाया ही करते है , मन – मस्तिष्क और आत्मा के उचित विकास में भी सहायक हुआ करते है | मस्तिष्क से काम करने वालो के लिए प्रात:काल ब्रह्म-मुहूर्त में घूमना, सूर्य नमस्कार करना आदि लाभकारी व्यायाम है | प्रात:काल खुले वातावरण में घूमना बिना मूल्य का अनमोल व्यायाम है | इससे हमे प्रात:काल जल्दी उठने की आदत पडती है तथा हमारी दिनचर्या नियमित रूप से चलती है | महात्मा गांधी जी ने भी अपनी आत्मकथा में प्रात : व सायकल में भ्रमण करना एक अच्छा व्यायाम बताया है |

diasati18Disha: Plz mark it as brainliest answer....
Similar questions