example of sandaha alankar
Answers
Answered by
0
. संदेह अलंकार – जहाँ दो वस्तुओं या क्रियाओं में इतनी समानता हो कि उसमें अनेक वस्तुओं के होने का संदेह हो और यह संदेह अंत तक बना रहे तो वहाँ संदेहालंकार होता है | इसमें या , अथवा ,किधौ ,किंवा, कि आदि वाचक शब्दों का प्रयोग होता है | जैसे -
‘हरि -मुख यह आली ! किधौ, कैधौ उयो मयंक ?
हे सखी ! यह हरि का मुख है या चन्द्रमा उगा है ? यहाँ हरि के मुख को देखकर सखी को निश्चय नहीं होता कि यह हरि का मुख है या चन्द्रमा है |
सारी बीच नारी है, कि नारी बीच सारी है |
सारी है कि नारी है , कि नारी ही की सारी है |
ये छींटे हैं उड़ते , अथवा मोती बिखर रहे हैं ?
‘हरि -मुख यह आली ! किधौ, कैधौ उयो मयंक ?
हे सखी ! यह हरि का मुख है या चन्द्रमा उगा है ? यहाँ हरि के मुख को देखकर सखी को निश्चय नहीं होता कि यह हरि का मुख है या चन्द्रमा है |
सारी बीच नारी है, कि नारी बीच सारी है |
सारी है कि नारी है , कि नारी ही की सारी है |
ये छींटे हैं उड़ते , अथवा मोती बिखर रहे हैं ?
Similar questions