examples of all रस in vyakaran
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मणि खोए भुजंग सी जननी, फन सा पटक रही थी शीश । अंधी आज बनाकर मुझको, किया न्याय तुमने जगदीश ।।
रस के उदाहरण
1. शांत रस का आसान उदाहरण l
इसका उदाहरण है जब मनुष्य के मन में आनंद का अभाव हो उसे रस कहते हैं और जब मनुष्य का पूरा ध्यान अध्यात्मिक की और लग जाता है और दुनिया से मोह खत्म होने का भाव उत्पन्न हो जाता है उसके मन को शान्ति प्राप्त होती है उसे शांत रस कहते है |
मेरे हृदय के हर्ष हा !अभिमन्यु अब तू है कहाँ
इसमें में करुण रस है |
2. करुण रस
करुण रस का स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं|
करुण रस उदहारण
यदि कोई दुर्घटना हो जाती है और उस दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं और उस घटना से अन्य लोग दुखी रहते हैं |
3. वीर रस
वीर रस में स्थायी भाव उत्साह होता है इस रस में जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना होती है|
जंहा पे विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वंहा वीर रस होता है |
वीर रस के चार भेद है युद्वीर , धर्मवीर , दानवीर , दयावीर है|
वीर रस में इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है|
4. श्रंगार रस
श्रंगार रस में स्थाई भाव रति होता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है| श्रंगार रस में सुख की प्राप्ती होती है | श्रृंगार रस में प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है|
राधा-कृष्ण का प्रेम का वर्णन
5. वात्सल्य रस
वात्सल्य रस की परिभाषा
वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्यता होता है। इस रस में बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम,माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम,गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम आदि का वर्णन किया जाता है। यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।
वात्सल्य रस उदाहरण
माँ का बेटे से प्यार
बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति
6.हास्य रस का उदाहरण
हास्य रस का स्थाई भाव हास होता है इसके अंतर्गत वेशभूषा, वाणी आदि को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है उससे हास की उत्पत्ति होती है इसे ही हास्य रस कहते हैं|
7. रौद्र रस का उदाहरण
रौद्र रस स्थायी भाव क्रोध होता है जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं|
8. भक्ति रस
भक्ति रस का उदाहरण
भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति होता है इस रस में ईश्वर के प्रति भावना और अनुराग का वर्णन होता है। अर्थात इस रस में ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है।
9.वीभत्स रस का आसान उदाहरण |
वीभत्स रस जब किसी मनुष्य को जब भी किसी काव्य को पढ़कर मन में घृणा आये तो वीभत्स रस होता है। ये रस मुख्यतः युद्धों के वर्णन में पाया जाता है.
उदाहरण
जिनमें युद्ध के पश्चात लाशों, चील कौओं का बड़ा ही घृणास्पद वर्णन होता है.
घृणित वस्तुओं, घृणित चीजो या घृणित व्यक्ति को देखकर या उनके संबंध में विचार करके या उनके सम्बन्ध में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कि पुष्टि करती है.
10 .अद्भुत रस--
अद्भुत रस—जब मनुष्य के मन में किसी ऐसी बात को जिसे पढ़कर या सुनकर आश्चर्य हो और देख के आश्चर्य भाव उत्पन्न होते है तो उसे अद्भुत रस कहते है। इसके अन्दर आँसू आना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं
उदाहरण--- जैसे किसी के बीमारी की खबर सुनना|
फेल होने की खबर सुनना |
किसी को बड़े समय बाद देखना |
11.भयानक रस--
जब भी किसी काव्य को पढ़कर मन में भय उत्पन्न हो या काव्य में किसी के कार्य से किसी के भयभीत और डर पैदा होने का वर्णन हो तो भयानक रस होता है।
उदाहरण--- जैसे भुत वाली कहानी सुनने से मन में भय उत्पन्न होता है|