Hindi, asked by vedangtiwari0609, 5 months ago

explain the following lines प्रेमचंद के मुसकराने में लेखक को यह व्यंग्य नज़र आता है कि मानो प्रेमचंद उनसे कह रहे हों कि मैंने भले ही चट्टानों से टकराकर अपना जूता फाड़ लिया हो पर मेरे पैर तो सुरक्षित हैं और चट्टानों से बचकर निकलने वाले तुम लोगों के जूते भले ही ठीक हों पर तलवे घिसने के कारण तुम्हारा पंजा सुरक्षित नहीं है और लहूलुहान हो रहा है।​

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Answered by mynameayush10
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saya apki madat ka sakye thank u

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