फाल्गुन-महीने में िौन-सा त्योहार तथा किस प्रिार मनाया
जाता है?
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फाल्गुन माह में दो महत्वपूर्ण पर्व आते हैं, जो हिंदू धर्म में अपना खास महत्व रखते हैं।
हिन्दू पंचांग का आखिरी महीना होता है फागुन, इसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। फाल्गुन माह में दो महत्वपूर्ण पर्व आते हैं, जो हिंदू धर्म में अपना खास महत्व रखते हैं। फाल्गुन माह में ही चंद्र देव का जन्म माना जाता है, इस कारण से फाल्गुन में चंद्र देव का पूजन शुभ माना जाता है।
इसी माह में महाशिवरात्रि पर्व भी आता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। इसके अलावा होली का त्यौहार भी इसी माह में मनाया जाता है। इस दिन होलिका दहन किया जाता है और अगली सुबह रंगों से होली खेली जाती है।
फाल्गुन माह के व्रत-त्यौहार
जानकी जयंती: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता की जयंती मनाई जाता है। माना जाता है कि इसी दिन माता सीता का जन्म हुआ था।
विजया एकादशी: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को आराध्य मानकर पूजा किया जाता है।
महाशिवरात्रि: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस दिन लोग व्रत करके भगवान शिव और माता पार्वती का ब्याह रचाते हैं।
फाल्गुनी अमावस्या: धार्मिक दृष्टि से अमावस्या तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए दान-तर्पण करते हैं। इस अमावस्या को श्राद्ध पूजन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
आमलकी एकादशी: फाल्गुन की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस दिन सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना हेतु उपवास किया जाता है।
होली: फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है और होलिका पूजन करके शाम के समय होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है।
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फागुन – फाल्गुन मास के व्रत व त्यौहार
फागुन यह मास हिंदू पंचाग का आखिरी महीना होता है इसके पश्चता हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। हिंदू पंचाग के बारह महीनों में पहला महीना चैत्र का होता है तो फाल्गुन आखिरी। फागुन मास को मस्त महीने के तौर पर जाना जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह महीना फरवरी या मार्च में पड़ता है। इस वर्ष यह मास 10 फरवरी 2020 से लेकर 09 मार्च 2020 तक रहेगा।
दरअसल यह समय बसंत ऋतु का समय होता है। इस समय प्रकृति की विविध छटाएं देखने को मिलती हैं असल में पूरे वातावरण में एक अलग सी मादकता छायी रहती है। हर और नवजीवन का संचार नज़र आता है। सर्दी जा रही होती है और गर्मी आने की आहट होने लगती है यानि ना ही सर्दी और ना ही गर्मी इस तरह का मौसम खासकर उत्तरी भारत में होता है। प्रकृति के नज़रिये से यह मास जितना महत्वपूर्ण है उतना ही धार्मिक महत्व भी इस मास का होता है। फाल्गुन मास में 2 बड़े ही लोकप्रिय त्यौहार आते हैं जिन्हें देशभर में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। भगवान भोलेनाथ की आराधना का त्यौहार महाशिवरात्रि व रंगों का त्यौहार होली इसी महीने में मनाये जाते हैं। तो आइये जानते हैं इस मास के महत्व व इसमें आने वाले त्यौहारों के बारे में।
फागुन मास का महत्व
फागुन मास में महाशिवरात्रि व होली जैसे बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं इस कारण इस मास का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है। एक और इसमें भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है तो वहीं भगवान द्वारा अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिये भी भगवान की पूजा करते हुए होलिका का दहन किया जाता है। इसके अलावा देश भर के नर नारी इससे अगले दिन रंग वाली होली मनाते हैं। यह पर्व भेदभाव को भूलाकर हमारी सांस्कृतिक एकता के महत्व को भी दर्शाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की उत्पति अत्रि और अनुसूया से फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हुई थी इस कारण गाजे-बाजे के साथ नाचते गाते हुए चंद्रोदय की पूजा भी की जाती है। चूंकि यह हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है इस कारण अधिकरत धार्मिक वार्षिकोत्सव इसी महीने में आयोजित होते हैं। दक्षिण भारत में उत्तिर नाम का मंदिरोत्सव फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। इतना ही नहीं फाल्गुन द्वादशी यदि श्रवण नक्षत्र युक्त हो तो इस दिन भगवान विष्णु का उपवास करने की मान्यता भी है।