फूल खुशबू इच्छा इतराना बाग शब्दों से कविता बनाइये
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मैं एक गुलाब का फूल हूँ,
अपनी खुशबू पर नाज करता हूँ, मैं
अपने वाग की शान हूँ ,
फूलों का राजा कहलाता हूँ मैं
जब मैं भगवान पर चढ़ाया जाता हूँ
तो अपने भाग्य पर इतराता हूँ मैं
चाह नहीं मुझको कि मैं जूड़ों में गूँथा जाऊँ,
भगवान के चरणों में अर्पित होकर मैं अपनी मंजिल पाऊँ ।
अपनी खुशबू पर नाज करता हूँ, मैं
अपने वाग की शान हूँ ,
फूलों का राजा कहलाता हूँ मैं
जब मैं भगवान पर चढ़ाया जाता हूँ
तो अपने भाग्य पर इतराता हूँ मैं
चाह नहीं मुझको कि मैं जूड़ों में गूँथा जाऊँ,
भगवान के चरणों में अर्पित होकर मैं अपनी मंजिल पाऊँ ।
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