fast forest keep ki kami ki purti ke liye paudhon ko kaise Dali jaati hai
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मानव शरीर की तरह पौधों या फसल को भी पोषत तत्वों की जरूरत होती है। जो उनके उगने, बढ़वार और फिर फल देने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार पौधों के लिए 17 पोषक तत्व चाहिए होते हैं। इन पोषक तत्वों में सबसे अपने-अपने कार्य हैं।
मानव शरीर की तरह पौधों या फसल को भी पोषत तत्वों की जरूरत होती है। जो उनके उगने, बढ़वार और फिर फल देने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार पौधों के लिए 17 पोषक तत्व चाहिए होते हैं। इन पोषक तत्वों में सबसे अपने-अपने कार्य हैं।ज्यादातर किसान खेतों में डीएपी, एनपीके, यूरिया, पोटाश आदि डालते हैं। कुछ जागरूक किसान जिंक और दूसरे माइक्रोन्यूटेट (सूक्ष्म पोषकत्तवों) का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से कई पोषक तत्व गोबर की खाद, हरी खाद या फिर केंचुआ खाद में होते हैं। जबकि कुछ को अलग से डालना पड़ता है। जो किसान सिर्फ नाइट्रोजन (यूरिया), फॉस्फोरस और पोटाश ही देते हैं उन्हें नुकसान उठाना पड़ जाता है। इसलिए किसानों को संतुलित पोषक तत्व देने चाहिए। कई बार पत्तियों की रंगत और पौधे खुद बताते हैं कि उनमें किस पोषक तत्व की कमी है।
मानव शरीर की तरह पौधों या फसल को भी पोषत तत्वों की जरूरत होती है। जो उनके उगने, बढ़वार और फिर फल देने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार पौधों के लिए 17 पोषक तत्व चाहिए होते हैं। इन पोषक तत्वों में सबसे अपने-अपने कार्य हैं।ज्यादातर किसान खेतों में डीएपी, एनपीके, यूरिया, पोटाश आदि डालते हैं। कुछ जागरूक किसान जिंक और दूसरे माइक्रोन्यूटेट (सूक्ष्म पोषकत्तवों) का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से कई पोषक तत्व गोबर की खाद, हरी खाद या फिर केंचुआ खाद में होते हैं। जबकि कुछ को अलग से डालना पड़ता है। जो किसान सिर्फ नाइट्रोजन (यूरिया), फॉस्फोरस और पोटाश ही देते हैं उन्हें नुकसान उठाना पड़ जाता है। इसलिए किसानों को संतुलित पोषक तत्व देने चाहिए। कई बार पत्तियों की रंगत और पौधे खुद बताते हैं कि उनमें किस पोषक तत्व की कमी है।राजस्थान में उदयपुर के कृषि विज्ञान केंद्र वैज्ञानिक डॉ. दीपक जैन कहते हैं " किसान अगर पत्तियों की रंगत पर नजर रखे तो वो आसानी से समझ सकता है कि उनमें किस पोषत तत्व की कमी है। या कौन सा रोग लगा है।" मक्के का उदाहरण देते हुए वो एक चार्ट पर 8 पत्तियों की रंगत दिखाते हुए बताते हैं "अगर पत्तियां लाल और बैंगनी हो रही हैं तो इसका मतलब फॉस्फोरस की कमी है। पत्तियां किनारे से पीली पड़ रहीं मतलब कि पोटाश की कमी है और अगर बीच में पीलापन है तो पत्तियां नाइट्रोजन, जबकि धारियां नजर आने पर मैग्नीशियम की कमी के लक्षण हैं।"
मानव शरीर की तरह पौधों या फसल को भी पोषत तत्वों की जरूरत होती है। जो उनके उगने, बढ़वार और फिर फल देने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार पौधों के लिए 17 पोषक तत्व चाहिए होते हैं। इन पोषक तत्वों में सबसे अपने-अपने कार्य हैं।ज्यादातर किसान खेतों में डीएपी, एनपीके, यूरिया, पोटाश आदि डालते हैं। कुछ जागरूक किसान जिंक और दूसरे माइक्रोन्यूटेट (सूक्ष्म पोषकत्तवों) का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से कई पोषक तत्व गोबर की खाद, हरी खाद या फिर केंचुआ खाद में होते हैं। जबकि कुछ को अलग से डालना पड़ता है। जो किसान सिर्फ नाइट्रोजन (यूरिया), फॉस्फोरस और पोटाश ही देते हैं उन्हें नुकसान उठाना पड़ जाता है। इसलिए किसानों को संतुलित पोषक तत्व देने चाहिए। कई बार पत्तियों की रंगत और पौधे खुद बताते हैं कि उनमें किस पोषक तत्व की कमी है।राजस्थान में उदयपुर के कृषि विज्ञान केंद्र वैज्ञानिक डॉ. दीपक जैन कहते हैं " किसान अगर पत्तियों की रंगत पर नजर रखे तो वो आसानी से समझ सकता है कि उनमें किस पोषत तत्व की कमी है। या कौन सा रोग लगा है।" मक्के का उदाहरण देते हुए वो एक चार्ट पर 8 पत्तियों की रंगत दिखाते हुए बताते हैं "अगर पत्तियां लाल और बैंगनी हो रही हैं तो इसका मतलब फॉस्फोरस की कमी है। पत्तियां किनारे से पीली पड़ रहीं मतलब कि पोटाश की कमी है और अगर बीच में पीलापन है तो पत्तियां नाइट्रोजन, जबकि धारियां नजर आने पर मैग्नीशियम की कमी के लक्षण हैं।"अपनी बात को सरल करते हुए डॉ. जैन कहते हैं "आखिर में हर पत्ती को पीला पड़ना है लेकिन रोग और पोषक तत्व की कमी के लक्षण कुछ नई तो कुछ पुरानी पत्तियों में देखे जा सकते हैं। जैसे सिंचाई की जरूरत होने पर पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं तो झुलसा रोग लगने या फिर किसी कीटनाशक या फफूंदनाशक के ज्यादा होने पर भी उनमें धब्बेदार पीला पन आ सकता है।"
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