Few lines on Gardner in hindi
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शौक, आनन्द, मनोरंजन और ज्ञान-प्राप्ति के सबसे अच्छे साधन हैं । इन से समय का सदुपयोग भी होता है । खाली और फुर्सत के समय के लिए ये सर्वोत्तम हैं ।
इन से जीवन नीरस और उबाऊ होने से बच जाता है और स्कूर्ति बनी रहती है । शौक पैसा कमाने के लिए नहीं, आनन्द व मनोरंजन के लिए होते हैं । व्यवसाय और शौक में यही प्रधान अंतर होता है । जब कोई कार्य पैसा कमाने के लिए किया जाता है, तो वह शौक न रहकर धंधा या पेशा हो जाता है ।
शौक अनेक हो सकते हैं । उनकी कोई सीमा नहीं है । पढ़ना, लिखना, कोई विशेष खेल खेलना, डाक-टिकिट या पुराने सिक्के संग्रह करना, गाना-बजाना, बागवानी, फोटोग्राफी, फिल्में देखना आदि बहुत सारे शौक हैं । व्यक्ति अपनी इच्छा, रुचि और साधनों के अनुसार कोई भी एक-दो शौक अपना सकता है ।
शौक जीवन को नया अर्श प्रदान करते हैं, उसे अधिक सार्थक और सरस बनाते हैं । समान शौक वाले लोगों में मित्रता भी सरलता से स्थापित हो जाती है और समय के साथ-साथ उसमें प्रगाढ़ता आ जाती है । शौक-पालन से तनाव दूर होता है और मन-मस्तिष्क तरोताजा बना रहता है ।
शौक जीवन में जितना जल्दी अपनाया जाये, उतना ही अच्छा । इसमें एक सर्जनात्मक आनन्द और सुख होता है लेकिन शौक बुरे भी हो सकते हैं । इनसे बचना चाहिये और केवल अच्छे, स्वास्थ्यवर्धक और उपयोगी शौक ही ग्रहरण करने चाहिये । ताश खेलना, गपशप करना, जुआ खेलना आदि बुरे शौक हैं । इनकी लत कभी नहीं पालनी चाहिये ।
बागवानी मेरा प्रिय शौक है । यह मुझे विरासत में मिला है । मेरे स्वर्गीय पिताजी को भी बागवानी का शौक था । वे बहुत अच्छे बागवान थे । मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है । मेरी माताजी भी इसमें रुचि लेती हैं । हमारे घर के पीछे एक छोटा-सा बगीचा है । उसमें कई नरह के पेड़-पौधे मैंने उगा रखे हैं ।
पेड़ों में आम, नीम और कदम्ब के वृक्ष हैं । फूलों में गुलाब, मोगरा, गुलदाबड़ी, हजारा, पेंजी, चाइनीज लेंनटर्न आदि हैं । कुछ नागफनी के भी पौधे हैं । पेड़-पौधों को खाद-पानी देना, उनकी देखरेख करना और उनको फलते-फूलते देखने में मुझे बड़ा आनन्द और सुख मिलता है । जब भी मैं बाग में होता हूं तो एक अलग ही तरह की शांति और सुकून मैं अनुभव करता हूं ।
इन से जीवन नीरस और उबाऊ होने से बच जाता है और स्कूर्ति बनी रहती है । शौक पैसा कमाने के लिए नहीं, आनन्द व मनोरंजन के लिए होते हैं । व्यवसाय और शौक में यही प्रधान अंतर होता है । जब कोई कार्य पैसा कमाने के लिए किया जाता है, तो वह शौक न रहकर धंधा या पेशा हो जाता है ।
शौक अनेक हो सकते हैं । उनकी कोई सीमा नहीं है । पढ़ना, लिखना, कोई विशेष खेल खेलना, डाक-टिकिट या पुराने सिक्के संग्रह करना, गाना-बजाना, बागवानी, फोटोग्राफी, फिल्में देखना आदि बहुत सारे शौक हैं । व्यक्ति अपनी इच्छा, रुचि और साधनों के अनुसार कोई भी एक-दो शौक अपना सकता है ।
शौक जीवन को नया अर्श प्रदान करते हैं, उसे अधिक सार्थक और सरस बनाते हैं । समान शौक वाले लोगों में मित्रता भी सरलता से स्थापित हो जाती है और समय के साथ-साथ उसमें प्रगाढ़ता आ जाती है । शौक-पालन से तनाव दूर होता है और मन-मस्तिष्क तरोताजा बना रहता है ।
शौक जीवन में जितना जल्दी अपनाया जाये, उतना ही अच्छा । इसमें एक सर्जनात्मक आनन्द और सुख होता है लेकिन शौक बुरे भी हो सकते हैं । इनसे बचना चाहिये और केवल अच्छे, स्वास्थ्यवर्धक और उपयोगी शौक ही ग्रहरण करने चाहिये । ताश खेलना, गपशप करना, जुआ खेलना आदि बुरे शौक हैं । इनकी लत कभी नहीं पालनी चाहिये ।
बागवानी मेरा प्रिय शौक है । यह मुझे विरासत में मिला है । मेरे स्वर्गीय पिताजी को भी बागवानी का शौक था । वे बहुत अच्छे बागवान थे । मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है । मेरी माताजी भी इसमें रुचि लेती हैं । हमारे घर के पीछे एक छोटा-सा बगीचा है । उसमें कई नरह के पेड़-पौधे मैंने उगा रखे हैं ।
पेड़ों में आम, नीम और कदम्ब के वृक्ष हैं । फूलों में गुलाब, मोगरा, गुलदाबड़ी, हजारा, पेंजी, चाइनीज लेंनटर्न आदि हैं । कुछ नागफनी के भी पौधे हैं । पेड़-पौधों को खाद-पानी देना, उनकी देखरेख करना और उनको फलते-फूलते देखने में मुझे बड़ा आनन्द और सुख मिलता है । जब भी मैं बाग में होता हूं तो एक अलग ही तरह की शांति और सुकून मैं अनुभव करता हूं ।
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