Full meaning of jivan nahin mara karta hai poem please please tell me
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों,
मोती व्यर्थ लुटाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है नयन सेज पर,
सोई हुई आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों,
जागे कच्ची नींद जवानी।
गीली उमर बनाने वालों,
डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गई समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो,
समझो पूरी हुई तपस्या।
रूठे दिवस मनाने वालों,
फ़टी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों !
चाल बदलकर जाने वालों !
चन्द खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है ।
Answers
Answer:
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों / यह कविता गोपालदास "नीरज" द्वारा लिखी गई है |
इस कविता में कवि ने मनुष्य को आगे बढ़ने के बारे में बताया है यदि जीवन में कुछ मुश्किलें आ जाए तो जीवन नहीं मर करता |
छीप-छीप कर आँसू बहाने वालों, बिना मतलब के रोने से, और कुछ सपनों के टूट जाने से जीवन नहीं मर करता |
सपना तो बंद आंखों और खुली आँखों द्वारा देखा जाता है, उसका टूटना तो कच्ची नींद की तरह है | कुछ मुसीबतें आ जाने से , जीवन नहीं मर करता | माला के टूट जाने से कुछ नहीं होता समय के साथ समस्या खुद ही हल हो जाती है|
रो-रो कर जीवन व्यतीत करने वालों , दुःख के साथ जीने वालों , छोटी-छोटी लड़ाई होने जाने से घर नहीं टुटा करता | हम अपने जीवन में कुछ खोते नहीं है बस समय के साथ बदल जाते है | जैसे रात के बाद सुबह आती है | सुबह धूप लेकर आती है |
वस्त्र बदलकर आए वालों , चल बदल कर चले जाने वालों | कुछ सपने टूट जाने , खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है ।
Answer:
खिलौने के खो जाने के बीच में नहीं मरा करता है गांव इसका कहानी से क्या आशय है